जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. पेट्रोल-डीज़ल के दाम भले ही आपकी मुश्किलों को कम करते नज़र नहीं आ रहे हों लेकिन खाने वाले तेल के दाम आपको जल्दी ही राहत देने वाले हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले दो से तीन दिन में खाद्य तेलों के दामों में 40 से 50 रुपये प्रति लीटर की कमी आ जायेगी.
इस साल सरसों का 86 लाख टन उत्पादन हुआ है. यह सरसों बाज़ार में पहुँचने को तैयार है. सरसों का उत्पादन पिछले साल भी अच्छा हुआ था लेकिन इसके बावजूद बाज़ार में भाव कम नहीं हुए थे. इसकी वजह यह है कि बाज़ार में सरसों ज्यादा होगी तब भी बाज़ार में सोया और बिनौला रिफाइंड नज़र आता है. सरसों का तेल सस्ता हो जाता है तो इसे रिफाइंड कर इसकी दूसरे तेलों में मिक्सिंग शुरू हो जाती है. सरसों का तेल अगर बहुत तेज़ हुआ तो उसमें चावल या कनौला तेल की मिलावट कर दी जाती है.
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कल यानि मंगलवार को अमेरिका में होने वाली मीटिंग में इस बात को लेकर विमर्श होगा कि बायो फ्यूल में दूसरे खाद्य तेलों की कितनी परसेंटेज मिलाई जाये. कुछ समय पहले अमेरिका में बायो फ्यूल में 46 फीसदी रिफाइंड तेल मिलाने की इजाज़त दे दी गई थी, जबकि अभी यह सिर्फ 13 फीसदी ही मिलाया जाता था. इस बैठक से पहले ही भारत के खाद्य तेल बाज़ार में असर नज़र आने लगा है और करीब 15 फीसदी दाम कम हो गए हैं.