न्यूज डेस्क
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नकाबपोशों की हिंसा के खिलाफ सोमवार को देश-विदेश में प्रतिक्रिया देखने को मिली। देश के कई कैंपसों के अलावा अमेरिका के ऑक्सफोर्ड व कोलंबिया यूनीवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुआ। छात्र, राजनीतिक दलों से लेकर उद्योगपतियों तक ने विरोध जताया। विपक्ष ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस और लेफ्ट को।
वहीं इस हिंसा पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मैं निश्चित रूप से आपको बता सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, हमनें वहां कोई ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग नहीं देखा।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर से 6 जनवरी को जब जेएनयू हिंसा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं जब जेएनयू में पढ़ता था, हमनें वहां कोई ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग नहीं देखा। इस घटना की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से विश्वविद्यालय की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है। दक्षिणपंथी दलों द्वारा विपक्ष, खास तौर पर वाम और वाम समर्थित संगठनों के साथ ही उनका समर्थन करने वालों के लिये टुकड़े-टुकड़े शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने एक किताब के विमोचन के कार्यक्रम में जेएनयू हिंसा के संदर्भ में पूछे जाने पर कहा कि जेएनयू पर मुझे जो कहना था वह मैंने कल कह दिया था। वह बहुत स्पष्ट था।
गौरतलब है कि जेएनयू में रविवार रात डंडों और सरिये से लैस नकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने महिला छात्रावास पर भी हमला किया। जयशंकर ने घटना के बाद ट्वीट किया था कि जेएनयू में जो हो रहा है उसकी तस्वीरें देखी हैं। स्पष्ट रूप से हिंसा की आलोचना करता हूं। यह पूरी तरह विश्वविद्यालय की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है।
वीसी को हटाने की मांग
जेएनयू कैंपस में हिंसा को लेकर जेएनयू वाइस चांसलर निशाने पर हैं। छात्रों और शिक्षकों ने उन्हें पद से हटाने की मांग की है। छात्रसंघ अध्यक्ष आइसी घोष ने आरोप लगाया कि संघ से जुड़े कुछ प्रोफेसर हमारे आंदोलन को दबाने के लिए हिंसा भड़का रहे हैं। यह संगठित हमला था। वहीं एबीवीपी ने कहा कि लेफ्ट विंग ने रजिस्ट्रेशन के अंतिम दिन इंटरनेट काटने की साजिश रची और मारपीट की। उसके 11 कार्यकर्ता लापता हैं।
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