न्यूज डेस्क
इस बार मई दिवस पर जश्न का माहौल नहीं है। हर बार की तरह इस बार मजदूरों में मई दिवस को लेकर कोई उत्साह नहीं है बल्कि दर्द है। कोरोना काल में दुनिया भर में करोड़ों मजदूर बिना काम के घर बैठे है या फिर उन्हें काम से निकाल दिया गया है।
कोरोना महामारी का असर दुनिया के ज्यादातर देशों पर पड़ा है। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को कोरोना की वजह से तगड़ी चोट पहुंची है। जहां लाखों लोगों की नौकरी जा चुकी है तो वहीं लाखों की जाने वाली है।
एक मई को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन कोरोना काम में सब बदल गया है। इस बार श्रमिकों में मजूदर दिवस को लेकर कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। वह नौकरी जाने की वजह से तकलीफ में है। वह आने वाले कल को लेकर तकलीफ में है।
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इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यामार, बांग्लादेश, जर्काता जैसे कई देशों में कारोना महामारी की वजह से श्रमिक परेशान हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अधिकांश देशों ने लॉकडाउन कर रखा है। इसकी वजह से सुपर मार्केट और मेडिकल शॉप के अलावा कुछ महत्पूर्ण दफ्तर ही खोले गए हैं। कामधाम ठप होने की वजह से भारी संख्या में लोगों की नौकरियां चली गई।
कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर कपड़ा फैक्ट्रियों पर पड़ा है। इनमें काम करने वाले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं क्योंकि ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं और फैक्ट्रियां ठप्प हैं। बांग्लादेश में कपड़ों की फैक्ट्री में काम करने वाले 40 लाख मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
कोरोना वायरस की महामारी के चलते बांग्लादेश के चर्चित कपड़ा उद्योग पर संकट के बादल छा गए हैं। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इस उद्योग में काम करने वाले 40 लाख लोगों में से आधे की नौकरी जा सकती है।
चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा कपड़ा निर्माता है। हर साल कपड़ा निर्यात कर बांग्लादेश 35 अरब डॉलर कमाता है। बांग्लादेश में बने कपड़े आम तौर पर यूरोप और अमेरिका भेजे जाते हैं।
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ढाका के बाहर एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाली सबीना अख्तर कहती हैं- हमारी फैक्ट्री में आठ सौ लोग काम करते हैं। यहां यूरोपीय देशों के बाजारों के लिए कमीजें बनाई जाती हैं। कुछ दिन पहले कंपनी के मालिक ने ऐलान किया कि वह अब कारखाने को आगे नहीं चला पाएंगे, क्योंकि यूरोप के उनके सभी खरीदारों ने कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अपने सभी ऑर्डर रद्द कर दिए हैं।
वह कहती हैं कि, ”मुझे नहीं पता कि मैं आगे कैसे काम चला पाऊंगी। मेरी नौकरी चली गई है। अब मुझे नहीं पता कि मैं अपने लिए खाने का जुगाड़ कैसे करूंगी।”
कपड़ा उद्योग, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग में करीब 40 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इनमें से ज़्यादातर महिलाएं हैं।
बांग्लादेश गार्मेंट मन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रुबाना हक कहती हैं कि महामारी के कारण 3 अरब डॉलर का नुकसान निर्माताओं को उठाना पड़ा है। मार्च महीने में ही काम बंद कर दिया गया था और कर्मचारियों को घर जाने को कह दिया गया था।
उत्तरी जकार्ता में कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले दो बच्चों के पिता विरयोनो को अप्रैल के आखिर में नौकरी से निकाल दिया गया। विरयोनो कपड़ा फैक्ट्री में सैंपल प्रोड्यूसर का काम करने के अलावा निर्माण कर्मचारियों को कॉफी डिलीवरी का भी काम करते हैं, हालांकि वह काम भी बंद हो गया जब कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन ने निर्माण कार्य बंद करा दिया।
विरयोनो कहते हैं, “मैं जितना कपड़ा-फैक्ट्री से कमा लेता था अब उतना नहीं कमा पाता हूं, लेकिन मुझे परिवार के लिए रोज खाने का इंतजाम तो करना है। ”
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बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कंबोडिया और म्यांमार जैसे देशों में लाखों नौकरियां खत्म हो गई हैं। इन देशों में बहुत सारी फैक्ट्रियां हैं जो कपड़ा बनाती हैं लेकिन बड़े फैशन ब्रांड्स अपने अरबों डॉलर के ऑर्डर रद्द कर चुके हैं।
इंडोनेशिया में ही बीस लाख से ज्यादा कपड़ा उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी जा चुकी है और फैक्ट्रियां 20 फीसदी की क्षमता पर ही काम कर रही हैं।
कंबोडिया भी कपड़ा, फुटवियर निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। कंबोडिया के श्रम मंत्रालय के प्रवक्ता हेंग सोर का कहना है कि 130 कारखानों ने लगभग 1,00,000 लोगों को काम से निकाल दिया है। कंबोडिया के एक हजार कपड़ा और जूता कारखाने लगभग आठ लाख लोगों को काम देते हैं। पिछले साल यहां से 10 अरब मूल्य के उत्पादों का निर्यात अमेरिका और यूरोप के लिए हुआ।
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हेंग सोर कहते हैं, “कोरोना वायरस एक निर्दयी हत्यारा या आतंकवादी की तरह है, जो हजारों लोगों को मार रहा है या फिर आसपास के लोगों को संक्रमित कर रहा है। ” अन्य सरकारों की तरह कंबोडिया ने भी मजदूरों को इस बार रैली और विरोध प्रदर्शनों में ना जाने को कहा। सरकार ने मजदूरों से घर पर ही मई दिवस मनाने को कहा है।
मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में इस वक्त रमजान का महीना चल रहा है। सरकार ने लोगों से वायरस से बचाव के लिए बड़े समूहों में इक_ा ना होने को कहा है। दक्षिणपू्र्व एशिया के सबसे बड़े टेक्सटाइल बाजार जकार्ता के तनहा अबंग बाजार में ईद की खरीदारी पर भी असर दिख रहा है। लॉकडाउन की वजह से नए कपड़ों की बिक्री में भी कटौती हो गई है।
म्यामार जो कि कपड़ों को निर्यात कर औद्योगिकीकरण करना चाहता था वहां 60,000 के करीब फैक्ट्री कर्मचारियों की नौकरी जा चुकी है। यह देश मुख्य रूप से खेती और खनन पर निर्भर रहता आया है।
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