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डंके की चोट पर : राम नाम पर लूट है लिखापढ़ी में लूट

शबाहत हुसैन विजेता

अयोध्या में भगवान राम के मन्दिर के निर्माण का काम पूरे जोरशोर से चल रहा है. मन्दिर की भव्यता में कमी न हो इसके लिए राम भक्तों ने दिल खोलकर चंदा दिया है. चार मार्च 2021 तक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एकाउंट में 25 सौ करोड़ रुपये जमा हो चुके थे.

एकाउंट में बड़ी राशि आ जाने के बाद ट्रस्ट ने 500 करोड़ की एफडी करा दी ताकि भविष्य में राम मन्दिर के लिए धन की कमी नहीं होने पाए. जयपुर और सोनभद्र की खदानों को ज़रूरत भर पत्थर का ऑर्डर किया जा चुका है. मन्दिर की नींव का काम युद्धस्तर पर चल ही रहा है.

राम भक्तों से मिला उनकी मेहनत की कमाई का पैसा राम मन्दिर के निर्माण में ही खर्च हो यह एक वाजिब चिंता का सवाल है इसी वजह से केन्द्र सरकार ने इसके लिए बाकायदा एक कमेटी का गठन किया ताकि मन्दिर के लिए आने वाले एक-एक पैसे का हिसाब रखा जा सके.

इन कोशिशों के बावजूद चंदे में आयी रकम की लूट का सिलसिला काफी पहले ही शुरू हो गया था. सितम्बर 2020 में ही श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बैंक खाते की क्लोन चेक बुक तैयार हो चुकी थी. सितम्बर के महीने में क्लोन चेक के ज़रिये खाते से छह लाख रुपये निकाल लिए गए.

पहली सितम्बर को लखनऊ के एक बैंक से ढाई लाख रुपये और तीन सितम्बर को साढ़े तीन लाख रुपये निकाले गए. इसके बाद जब नौ लाख 86 हज़ार रुपये का तीसरा क्लोन चेक बैंक ऑफ़ बड़ौदा में लगाया गया तो बैंक ने बड़ी रकम होने की वजह से ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय से सम्पर्क किया तो चम्पत राय ने किसी को भी चेक देने से इनकार कर दिया.

चम्पत राय के इनकार के बाद जांच शुरू हुई तो पता चला कि छह लाख रुपये तो निकाले भी जा चुके हैं. छह लाख की चोट के बाद तीसरे चेक का पेमेंट रोक दिया गया. अयोध्या में अज्ञात जालसाज के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया. ज़ाहिर सी बात है कि अगर जालसाज ने तीसरी बार भी ढाई-तीन लाख रुपये का चेक लगाया होता तो इस बार भी वह पैसा लेकर सुरक्षित चला गया होता.

राम के नाम पर आ रहे पैसों की लूट की तरफ किसी का ध्यान इसी वजह से नहीं जा पा रहा था कि जालसाज ढाई लाख और साढ़े तीन लाख की चोरी कर रहा था और इधर भक्तों की तरफ से सिर्फ 18 दिनों में ही 60 करोड़ रुपये का चंदा आ चुका था. बैंक में रोजाना धन जमा हो रहा था. इधर करोड़ों जमा हो रहे और उधर लाखों निकाले जा रहे तो उस पर किसी का ध्यान ही नहीं जा पा रहा था. बैंक ने तीसरी बार भी न पूछा होता तो जालसाज़ एक बार फिर कामयाब हो गया होता.

भूमि पूजन के बाद जब राम मन्दिर निर्माण के काम में तेज़ी आने लगी तो पैसे आने का फ्लो भी तेज़ हो गया. इधर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आसपास की ज़मीनों पर निगाह दौड़ानी शुरू कर दी ताकि मन्दिर का विस्तार किया जा सके. ज़मीनों की खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गई.

राम मन्दिर के लिए ज़मीनें खरीदने का काम शुरू हुआ तो नज़ारा बिलकुल वैसा ही हो गया जैसा कि हाइवे बनने के दौरान खेतों की खरीद फरोख्त का होता है. धनवान लोग हाइवे का नक्शा पास होते ही उन खेतों की खरीददारी शुरू कर देते हैं जिनसे हाइवे को गुजरना होता है. हाइवे जब वहां तक पहुँचता है तो वह उन ज़मीनों को कई गुना रेट पर सरकार को बेचते हैं. यही हालात अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण के दौरान भी नज़र आ रहे हैं.

अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास खरीदी गई ज़मीनों के मामले में ऐसा ही देखने को मिला. दो करोड़ की ज़मीन ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ में बेची गई. रामकोट इलाके में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के सगे भांजे दीप नारायण उपाध्याय ने 20 लाख रुपये की ज़मीन खरीदकर ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दी. दीप नारायण ने तीन महीने के भीतर 20 लाख रुपये को 12 गुना बढ़ा लिया. दीप नारायण ने एक और ज़मीन साढ़े 27 लाख की खरीदकर ट्रस्ट को एक करोड़ में बेची. ज़मीनों की खरीद में जब गड़बड़ घोटाला चल रहा था उसी दौर में ट्रस्ट के एकाउंट से आठ करोड़ का पेमेंट कर 80 बिस्वा ज़मीन ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय के नाम पर भी खरीद ली गई.

राम मन्दिर निर्माण के लिए आये धन की लूट खसोट का शोर पूरे देश में पहुँच चुका है. सियासी गलियारों में इसे लेकर काफी शोर मच रहा है मगर अयोध्या के डीएम ट्रस्ट के काम की तारीफ़ कर रहे हैं. अयोध्या के मेयर ज़मीनों की खरीद फरोख्त में बतौर गवाह हस्ताक्षर कर रहे हैं. बहती गंगा में उनका भांजा भी अपने हाथ ढो ले रहा है. ट्रस्ट का सदस्य अनिल मिश्रा भी बतौर गवाह ज़मीन के हर सौदे में शामिल रहता है.

मजेदार बात यह है कि ट्रस्ट जिस व्यक्ति को करोड़ों रुपये भुगतान कर ज़मीन खरीदता है वह खुद भी उसी वक्त अपनी रजिस्ट्री कराता है. बेचने वाला सर्किल रेट से काफी कम कीमत पर रजिस्ट्री कराता है और कुछ ही मिनटों के बाद ट्रस्ट उसी ज़मीन को सर्किल रेट से कई गुना दाम पर खरीद लेता है. ट्रस्ट की रजिस्ट्री और ट्रस्ट ने जिससे खरीदा उसकी रजिस्ट्री दोनों में अनिल मिश्रा गवाह रहते हैं. मेयर भी गवाह के तौर पर हस्ताक्षर करते हैं मगर दोनों को ही यह सवाल परेशान नहीं करता कि कुछ मिनटों में लाखों की ज़मीन को ट्रस्ट करोड़ों में खरीद रहा है. आखिर कुछ ही देर में कीमतें इतनी तेज़ी से कैसे बढ़ती जा रही हैं.

मेयर को इस बात की भी फ़िक्र नहीं है कि ज़मीनों की लूट में खुद उनका भांजा भी शामिल है. मेयर कहते हैं कि अयोध्या में ज़मीनों की कीमतें आसमान छू रही हैं. उनके रिश्तेदारों द्वारा किये जा रहे फ्राड की तरफ उनका ध्यान दिलाया जाता है तो वह पहले तो यह कहते हैं कि अयोध्या में सभी उन्हें जानते हैं. कौन क्या करता है इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है. सवाल भांजे का आता है तो वह उस ज़मीन को दीप नारायण की पैतृक सम्पत्ति बता देते हैं.

राम मन्दिर के नाम पर चल रही करोड़ों की लूट के मामले में शासन भी खामोश है और प्रशासन भी. मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम पर चल रही लूट के विरोध के बजाय सोशल मीडिया पर्व सवाल उठाने वालों को ही कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. यह सवाल आजकल काफी सुनाई दे रहा है कि जिसने एक पैसा चंदा नहीं दिया वह भी लूट का इल्जाम लगा रहा है.

बीजेपी सांसद साक्षी महाराज कहते हैं कि जिसे लूट नज़र आ रही है वह अपनी रसीद दिखाकर अपना चंदा वापस ले ले. खुद को संत कहने वाला सांसद लूट का विरोध करने के बजाय बड़ी बेशर्मी से उसका समर्थन करने में लगा है.

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मन्दिर भव्य बनेगा कोई दो राय नहीं है मगर भव्य मन्दिर के लिए अपनी गाढ़ी कमाई का अंश देने वाले के साथ क्या यह धोखा नहीं होगा कि करोड़ों रुपयों की लूट हो जाए. यही पैसा बाक़ी बच जाता तो मन्दिर के मेंटीनेंस ले लिए रखा जा सकता है. राम के नाम पर कोई योजना चलाई जा सकती है. राम मन्दिर में अखंड भंडारा शुरू किया जा सकता था लेकिन मन्दिर के नाम पर आये धन की लूट को रुकना चाहिए. लूट करने वालों से धन की रिकवरी होनी चाहिए.

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