यशोदा श्रीवास्तव
काठमांडु। नेपाल में राजशाही समर्थक और लोकतंत्र समर्थकों के बीच तलवारें खिंच गई है।
शनिवार को नेपाल में कई घटनाएं ऐसी हुई जिसे देख साफ तौर पर यह संकेत मिल रहे हैं कि यह जंग अब आर पार की होगी।इस जंग की शुरुआत पिछले रविवार को हुई जब पोखरा से पूर्व नरेश का आगमन काठमांडू हुआ। हिंदू राष्ट्र और राजतंत्र की मंग करने वाले हजारों की संख्या में लोगों ने ज्ञानेंद्र का स्वागत किया। स्वगतियों के हुजूम में यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ के फोटो से ओली सरकार चिढ़ गई है।
राजतंत्र की मांग के क्रम में शनिवार को ही राजा वादी पार्टी राप्रपा के हजारों कार्यकर्ताओं ने राजतंत्र के समर्थन में राजदरबार नारायण सिटी के समक्ष प्रदर्शन किया।
राजशाही समर्थन की बढ़ती संख्या को देख ओलि ही नहीं प्रचंड की पार्टी भी हिल गई है। उन्होंने पूर्व नरेश पर शिकंजा कसने की मंशा से दो दशक पूर्व राजा विरेंद्र और उनके परिवार की सामूहिक हत्या की जांच हेतु आयोग के गठन की मांग कर डाली। एक ही दिन नेपाल में हुई कई घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा कुछ इस प्रकार है।
नारायण हिती नरसंहार की जांच के लिए आयोग बनाना जरूरी: प्रचंड
पूर्व नरेश को घेरने की कोशिश
नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग और पूर्व नरेश की बढ़ रही सक्रीयता से ओली ही नहीं प्रमुख विपक्षी दल माओवादी केंद्र भी घबड़ाई हुई है। राजशाही के खात्मे में इस पार्टी के मुखिया और पूर्व पीएम प्रचंड की बड़ी भूमिका रही है। पूर्व नरेश की सक्रीयता के बीच शनिवार को प्रचंड ने पूर्व नरेश वीरेंद्र तथा उनके संपूर्ण परिवार की हत्या की जांच के लिए आयोग गठन की मांग की है। माना जा रहा है इस मांग के पीछे पूर्व नरेश को घेरने की मंशा है।
कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने कहा है कि तत्कालीन राजा वीरेन्द्र के वंश का संहार करने वाले दरबार हत्याकांड की जाँच के लिए आयोग बनाना आवश्यक है।शनिवार को समाजवादी मोर्चा द्वारा आयोजित प्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा घटना के समय भी उठाया था और गणतंत्र नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इस पर जोर दिया था।
इसके पहले शुक्रवार को सिंधुपालचोक में आयोजित पार्टी कार्यक्रम में प्रचंड ने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र को ‘वंशनाश करने वाला’, ‘मूर्तिचोर’ और ‘सोने की तस्करी का सरगना’ कहा था।
उन्होंने कहा जब दरबार हत्याकांड हुआ था, तब हम भूमिगत थे और तब भी मैंने यही बात कही थी।
उन्होंने कहा कि अब जब कुछ लोग राजशाही जैसे पुराने मुद्दों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो इस संदर्भ में इन बातों को दोहराना आवश्यक है। यह सवाल जनता के मन में भी है। जनता को इन सवालों के जवाब चाहिए। मैंने वही बातें मुखर रूप से दोहराई हैं जो पुराने तथ्य, पुराने प्रमाण और आम नेपाली जनता की भावना से मेल खाती हैं।”
राप्रपा ने जलाई प्रचंड की तस्वीर
पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र पर प्रचंड के आरोपों से बौखलाई राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) के प्रजातांत्रिक युवा संगठन ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ के पोस्टर जलाकर आक्रोश व्यक्त किया है। शनिवार को हेटौंडा में आयोजित युवा संगठन मकवानपुर के जिला अधिवेशन के दौरान प्रचंड की तस्वीर जलाई गई।
राप्रपा के केंद्रीय नेता और प्रतिनिधि सभा सदस्य दीपक बहादुर सिंह के साथ कार्यक्रम में संगठन के सदस्य सचिव नीराजन बम पतांलाल ने पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड की तस्वीर जलाई।तस्वीर में आग लगाते हुए उन्होंने ‘गणतंत्र मुर्दाबाद’ का नारा भी लगाया। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने भी ‘प्रचंड हत्यारा मुर्दाबाद’ का नारा भी लगाया।
चीन की गोद में बैठने को आतुर ओली
सत्तारूढ़ एमाले ने चीन से सहयोग और प्रगाढ़ संबंध बनाने की ईच्छा जताई है। शनिवार को काठमांडू में फाउंडेशन फार पीस,डेवलेपमेंट एंड सोशलिज्म द्वारा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)और नेपाल चीन संबंध पर चर्चा के लिए आयोजित “कास्ठमंडप संवाद” कार्यक्रम में प्रतिनिधि सभा अध्यक्ष देवराज घिमीरे ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नेपाल के सतत विकास के लिए चीन के साथ सहयोग को और अधिक प्रभावी बनाते हुए आपसी हित के क्षेत्र में अधिक निवेश की आवश्यकता है।
बता दें कि चीन की परियोजना बीआरआई को लेकर नेपाल के राजनीतिक दलों में अंतर्विरोध है। प्रधान मंत्री ओली चूंकि चीन के काफी करीब हैं इसलिए इस परियोजना के जरिए चीन नेपाल में एकाधिपत्य जमाने की तैयारी कर चुका है। लेकिन आनन-फानन में नेपाल चीन सहयोग विषय पर कार्यक्रम आयोजित करना नेपाल के राजनीतिक दलों में चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व में काठमांडू को काष्ठमंडप के नाम से जाना जाता था। चीन नेपाल सहयोग पर चर्चा के लिए काष्ठमंडप बैनर का नामकरण भी चर्चा में है।
जानकारों का कहना है नेपाल चीन सहयोग पर चर्चा में अचानक आई तेजी के पीछे नेपाल में राजशाही के समर्थन में उठ रही आवाज है। पिछले दिनों पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के स्वागत में काठमांडू में उमड़े जनसैलाब से ओली सरकार सकते में हैं। इस रैली में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पोस्टर के इस्तेमाल को ओली और उनकी पार्टी भारत का शह मान रही है। ओली और भारत के रिश्ते बेहतर नहीं है। समझा जाता है कि ओली अब खुलकर चीन के साथ आने की कोशिश में हैं।
प्रतिनिधि सभा स्पीकर घिमिरे ने स्पष्ट किया कि एक अच्छे दोस्त और करीबी पड़ोसी के रूप में, नेपाल को चीन की प्रगति पर गर्व है और वह व्यापक आर्थिक साझेदारी के माध्यम से चीन के अद्वितीय विकास और समृद्धि से लाभ उठाना चाहता है। उन्होंने कहा, “हम नेपाल के विकास प्रयासों में चीन के साथ सहयोग और सहयोग की अत्यधिक सराहना करना चाहते हैं।
घिमिरे ने कहा कि बीआरआई के माध्यम से दोनों देशों के बीच सहयोग मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा, “इस पहल को न केवल नेपाल के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के साधन के रूप में बल्कि आर्थिक विकास के नए दरवाजे खोलने के अवसर के रूप में भी देखा जाना चाहिए।”
घिमिरे ने कहा कि सात दशक पहले राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से, नेपाल और चीन के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध लगातार विकसित और मजबूत हो रहे हैं।’एक चीन सिद्धांत’ के प्रति नेपाल की प्रतिबद्धता मजबूत बनी हुई है। चीन लंबे समय से नेपाल का एक विश्वसनीय और महत्वपूर्ण विकास भागीदार रहा है।, अध्यक्ष घिमिरे ने कहा कि नेपाल सरकार और नेपाली लोग चीनी सरकार की ओर से नेपाल के विकास प्रयासों में सहयोग के लिए आभारी हैं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधान मंत्री झलनाथ खनाल ने कहा कि बीआरआई अवधारणा एक वैश्विक विकास परियोजना है।बीआरआई बुनियादी ढांचे के विकास, संचार नेटवर्क विस्तार आदि के मामले में अभूतपूर्व अवसर पेश करेगा।
एमाले के वरिष्ठ नेताओं द्वारा चीन के पक्ष में कसीदे पढ़ना प्रधानमंत्री ओली की मंशानुरूप माना जा रहा है। वहीं राजशाही समर्थक नेताओं का कहना है कि यह ओली सरकार की बौखलाहट का प्रतीक है। नेपाल में भारत समर्थक खासकर मधेशी दलों का कहना है कि चीन को तरजीह देने की ओली की मंशा पर भारत को खामोश नहीं रहना चाहिए।