जुबिली न्यूज डेस्क
इसराइल ने 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से ग़ज़ा में बिजली और पानी समेत सभी सुविधाएं बंद कर दी हैं. साथ ही खाने और दवाइयों की डिलीवरी को भी बंद कर दिया गया है. ग़ज़ा की क़रीब 23 लाख लोगों वाली आबादी के पास हर दिन की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने का सामान दिनों दिन घटता जा रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन पानी तक पहुंच को एक बुनियादी मानव अधिकार मानता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर रोज प्रति व्यक्ति को कम से कम 100 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है, जो उसे मिलना चाहिए.
प्रति व्यक्ति करीब तीन लीटर पानी-WHO
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसराइल-हमास संघर्ष से पहले ग़ज़ा में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 84 लीटर थी, लेकिन सप्लाई काट दिए जाने के बाद अब यह प्रति व्यक्ति करीब तीन लीटर तक पहुंच गई है. बड़े-बड़े मानवीय संगठनों ने चेताया है कि राहत सामग्री पर जो समझौता हुआ है वो ग़ज़ा में किसी सागर में बूंद जैसा होगा.
20 ट्रकों को ही ग़ज़ा में जाने की मंजूरी
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा में रह रहे 23 लाख लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कम से कम 100 ट्रकों की ज़रूरत होगी, लेकिन अभी सिर्फ 20 ट्रकों को ही ग़ज़ा में जाने की मंजूरी मिली है. इन ट्रकों को रफ़ाह क्रॉसिंग के जरिए ग़ज़ा में दाखिल होना है, लेकिन सड़क खराब होने के चलते ये ट्रक अंदर नहीं जा पा रहे हैं. उधर राहत कर्मियों का कहना है कि ग़ज़ा की ओर रफ़ाह क्रासिंग पर हर मिनट बमबारी हो रही है.