जुबिली न्यूज डेस्क
पूरी दुनिया में मंदी को लेकर डर सता रहा है. तो वहीं विश्व बैंक ने भारत को लेकर बड़ा दावा किया है. विश्व बैंक ने एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा जताया है. विश्व बैंक ने कहा है कि एक तरफ जहां ग्लोबल इकॉनमी मंदी के मुहाने पर खड़ी है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ने की संभावना है. विकास दर का अनुमान अगले वित्तवर्ष 2023-24 के लिए लगाया है.
बता दे कि विश्व बैंक नेल आगे कहा कि बस एक झटका और लगेगा तो ग्लोबल इकॉनमी सीधे मंदी की खाई में गिर जाएगी. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अभी दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं सुस्ती से जूझ रही हैं. चाहे अमेरिका हो या यूरोप अथवा चीन, सभी को अपनी विकास दर बढ़ाने में पसीने छूट रहे हैं. ‘Global Economic Prospects’ के आंकड़ों में विश्व बैंक ने ग्लोबल इकॉनमी का ग्रोथ अनुमान भी घटा दिया है और इसके 1.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि, दक्षिण एशिया में मंदी का ज्यादा असर नहीं पड़ने की भी संभावना जताई है, जिसमें भारत प्रमुख अर्थव्यवस्था है.
विश्व बैंक ने भारत पर जताया ये भरोसा
विश्व बैंक को भारतीय अर्थव्यवस्था पर शुरू से ही भरोसा रहा है. उसने चालू वित्तवर्ष 2022-23 में भी भारत की विकास दर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि अगले वित्तवर्ष के लिए इस अनुमान को और बढ़ा दिया है. दक्षिण एशिया के कुल उत्पादन में 75 फीसदी हिस्सेदारी अकेले भारत की रहती है और चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में भारत की विकास दर 9.7 फीसदी रही है. इससे निवेश और खपत का मजबूत आधार दिखाई देता है. विश्व बैंक ने कहा है कि भारत अगले साल भी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज विकास दर हासिल कर लेगा.
महंगाई और व्यापार घाटा बड़ी समस्या
विश्व बैंक ने कहा है कि भारत की विकास यात्रा के रास्ते में महंगाई और व्यापार घाटा बड़ा रोड़ा हैं. एक तरफ महंगाई उपभोक्ता खपत पर असर डाल रही तो दूसरी ओर व्यापार घाटा देश के राजस्व को कम कर रहा है. नवंबर में महंगाई 6 फीसदी के आसपास रही लेकिन इससे आरबीआई को खास राहत नहीं मिली. महंगाई के कारण ही रिजर्व बैंक को रेपो रेट 2.25 फीसदी बढ़ाना पड़ा.
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ग्लोबल इकॉनमी की ग्रोथ रेट आधी
दूसरी ओर, 2019 से अब तक देश का व्यापार घाटा दोगुना हो गया है. नवंबर में 24 अरब डॉलर का व्यापार घाटा रहा. इसमें सबसे ज्यादा 7.6 अरब डॉलर पेट्रोलियम उत्पादों का और 4.2 अरब डॉलर खनिजों के आयात की वजह से हुआ है.विश्व बैंक ने ग्लोबल इकॉनमी की ग्रोथ रेट प्रोजेक्शन को घटाकर करीब आधा कर दिया है. पहले जहां ग्लोबल इकॉनमी के 3 फीसदी दर से बढ़ने का अनुमान था, वहीं अब इसे घटाकर 1.7 फीसदी कर दिया है.
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