जुबिली न्यूज डेस्क
कुतुब मीनार विवाद मामले में हिंदू पक्ष की ओर से डाली गई याचिका पर मंगलवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई।
कोर्ट से इस याचिका के विरोध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा कि कुतुब मीनार एक संरक्षित स्मारक है इसलिए अब वहां कोई भी धार्मिक गतिविधि नहीं हो सकती है।
अदालत में हिन्दू पक्ष की ओर पेश हुए अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने दलील देते हुए कहा कि नके पास पुख्ता सबूत है कि कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को 27 हिंदु और जैन मंदिरों को गिराकर बनाया गया है।
जैन की इस दलील पर कोर्ट पूछा कि आप क्या चाहते हैं तो हिन्दू पक्ष की ओर से कहा गया कि मंदिर में सीमित स्तर पर पूजा की मांग करते हैं।
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हिंदू पक्ष की इस मांग पर जज ने कहा कि वहां 800 सालों से कोई पूजा नहीं हुई है आगे भी रहने दें। इसी बीच सुनवाई थोड़ी देर के लिए रोक दी गई क्योंकि एक पुलिस वाला जज की सुनवाई का ऑडियो रिकॉर्ड कर रहा था। फिर उसका फोन जब्त कर सुनवाई को आगे बढ़ाया गया।
फिलहाल हिन्दू पक्ष और एएसआई की दलीलों को सुनने के बाद अदालत में सुनवाई पूरी हो चुकी है और 9 जून को कोर्ट इस पर फैसला देगी।
मालूम हो कि जब यह विवाद शुरु हुआ उसके बाद संस्कृति मंत्रालय ने भी एएसआई को अपनी खुदाई रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
कुतुब मीनार के दक्षिण में मस्जिद से 15 मीटर की दूरी पर खुदाई शुरू की जा सकती है, जिसके लिए संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने 21 मई को कुतुब मीनार परिसर गए थे।
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मई माह के शुरुआत में महाकाल मानव सेवा और कई दक्षिण पंथी संगठनों ने बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे के बाद उसी दर्ज पर कुतुब मीनार परिसर के सर्वे उठाई थी, जिसके लेकर इन संगठनों ने कुतुब मीनार परिसर के बाहर धरना देने के साथ हनुमान चालीसा का पाठ भी किया था।
कुतुब मीनार परिसर के बाहर धरनों को देखते हुए सरकार की ओर से भारी पुलिसबल की तैनाती कर दी गई है। कुतुब मीनार को यूनेस्को से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का भी दर्जा मिला हुआ है।