जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. तीन कृषि क़ानून वापस लेने के पीछे सरकार और भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट मंशा पंजाब चुनाव में फायदा उठाने की है. सरकार और पार्टी लगातार यह देख रही थी कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर वह अकेली पड़ती जा रही है. तमाम मुसीबतों के बावजूद जहाँ किसान अपने आन्दोलन को मजबूती से चला रहे थे और विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने में जुटा हुआ था.
सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही किसी भी सूरत में किसानों के मुद्दे को चुनाव से पहले हल करने की तैयारी में आगे थे. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी किसानों का मुद्दा उठा था. जानकारी मिली है कि भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी सरकार से कृषि कानूनों को लेकर पुनर्विचार चाहते थे. पार्टी ने सरकार के सामने यह स्पष्ट कर दिया था कि कृषि कानूनों पर सरकार का अड़ियल रवैया बना रहा तो पंजाब चुनाव का सामना करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि किसानों के मुद्दे पर सबसे ज्यादा चुनौती पंजाब ही पेश करेगा.
सरकार को भी यह महसूस हुआ कि अगर अचानक से कृषि क़ानून वापस ले लिए जाएं तो उसका पंजाब में फायदा मिल सकता है. बीजेपी के सामने दिक्कत यह थी कि पंजाब और उत्तर प्रदेश दोनों जगह पर विधानसभा चुनाव सर पर खड़ा है. यूपी की योगी सरकार हालांकि किसानों के लिए तमाम योजनाओं की बात करने लगी थी लेकिन किसान सबसे पहले कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही बातचीत चाहते थे. उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी किसानों के साथ इधर अच्छा व्यवहार नहीं हुआ था. एक किसान को अपनी फसल को मंडी में ही जलाना पड़ा था. इन हालात में कृषि कानूनों के साथ-साथ किसानों से बात संभव नहीं थी.
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