जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. विकास दुबे उज्जैन में पकड़ा जा चुका है. कानपुर में दस पुलिसकर्मियों की शहादत का ज़िम्मेदार विकास दुबे एक हफ्ते तक पुलिस के साथ लुकाछिपी का खेल खेलता रहा. उसकी लोकेशन की सूचना जहां-जहां मिलती गई वहां पुलिस पहुँचती गई लेकिन पुलिस के पहुँचने से पहले ही विकास वहां से गायब हो जाता था.
उज्जैन में महाकाल के दर्शन के बाद विकास दुबे ने आत्मसमर्पण का जो फैसला किया उसके पीछे वजह यह नहीं थी कि वह भागते-भागते थक गया था. उसने आत्मसमर्पण का फैसला सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वह पुलिस के हाथों से जितना दूर जा रहा था पुलिस उसे उतना ही कमज़ोर करती जा रही थी, कभी उसका मकान ढहाकर, कभी भतीजे अतुल दुबे का इनकाउंटर कर, कभी उसके शार्प शूटर अमर दुबे को मारकर, कभी फरीदाबाद में पकड़े गए उसके ख़ास साथी कार्तिकेय उर्फ़ प्रभात का इनकाउंटर दिखाकर.
विकास दुबे समझ गया था कि वह जितना ज्यादा दूर तक भागेगा उसका गिरोह उतना ज्यादा कमज़ोर पड़ता जाएगा. उसे मालूम था कि पुलिस उसका लखनऊ वाला मकान भी ढहा देगी.
लगातार हो रहे अपने नुकसान को रोकने के लिए विकास दुबे ने आत्मसमर्पण का फैसला किया. आत्मसमर्पण से पहले उसने वह कड़ियाँ जोड़ी जिसके ज़रिये वह अपनी ज़िन्दगी की गारंटी हासिल कर ले. उसने उज्जैन को चुना ताकि मध्य प्रदेश सरकार उसे उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपे और वह सुरक्षित तरीके से उत्तर प्रदेश प्रदेश पहुँच जाए.
विकास दुबे ने जरायम का जो रास्ता चुना था उसमें अंजाम कभी भी अच्छा नहीं होता है. उसने पुलिस टीम के साथ खूंरेजी का जो खेल खेला था उसके बाद उसके गिरोह को एक बड़ा नुक्सान होना ही था. फरीदाबाद तक वह जिस कार्तिकेय उर्फ़ प्रभात के साथ गया था उस कार्तिकेय की उम्र सिर्फ 16 साल थी. फरीदाबाद में कार्तिकेय के पास नाइन एमएम की 4 पिस्टल और 44 राउंड कारतूस बरामद हुए थे. कार्तिकेय ने पुलिस को बताया था कि पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाने में वह भी शामिल था. उसने यह भी माना था कि कुछ घंटे पहले तक विकास दुबे भी उसके साथ था. पुलिस टीम कार्तिकेय को लेकर कानपुर आयी और पनकी क्षेत्र में एसटीएफ ने उसे मुठभेड़ में मार डाला.
पुलिस ने विकास दुबे के शूटर अमर दुबे को भी मुठभेड़ में मार गिराया. अमर दुबे 23 साल का था. विकास उसे हर महीने सैलरी देता था. उसकी इसी 29 जून को शादी हुई थी. जानकारी मिली है कि लड़की वालों को जब यह पता चला कि अमर दुबे शूटर है तो उन्होंने शादी से इनकार कर दिया था, विकास दुबे ने अपने आवास पर बन्दूक की नोक पर अमर दुबे की शादी करवाई थी.
बन्दूक की नोक पर शादी रचाने वाला अमर दुबे सिर्फ 9 दिन बाद ही अपनी पत्नी को विधवा के रूप में छोड़ गया. वह विधवा जिसके हाथों की मेहंदी भी हलकी नहीं पड़ी है उसे पुलिस ने लॉकअप में बंद कर रखा है और उससे भी पूछताछ हो रही है. पुलिस ने अमर दुबे के माँ-बाप और नौकरानी को भी गिरफ्तार कर लिया है.
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अमर दुबे का मकान विकास दुबे के मकान से मिला हुआ है. अपर पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के मुताबिक़ अमर दुबे विकास दुबे का भांजा था और विकास दुबे ने उसे अपना बॉडीगार्ड बनाया था. 23 साल के अमर की दिलेरी देखकर विकास दुबे ने उसे अपने गैंग में शामिल किया था. पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद अमर दुबे फरार हो गया था. पुलिस ने 8 जुलाई को हमीरपुर जिले में मुठभेड़ में मार गिराया. पुलिस ने अमर दुबे पर 50 हज़ार रुपये का इनाम भी रखा था. पुलिस ने उसके पोस्टर भी लगवाये थे.