जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, दवा, इजेक्शन के साथ-साथ कोरोना वैक्सीन की किल्लत बनी हुई है। जानकारों का कहना है कि इस महामारी पर नियंत्रण तभी संभव है जब सभी को वैक्सीन लग जायेगी।
लेकिन भारत में वैक्सीन की किल्लत बनी हुई है। फिलहाल टीके की कमी को दूर करने के लिए भारत बायोटेक ने कमर कस ली है।
कंपनी के संयुक्तप्रबंध निदेशक सुचित्रा एला ने कहा कि भारत बायोटेक ने गुजरात में अपनी रेबीज वैक्सीन सुविधा में कोवैक्सिन की अतिरिक्त खुराक का निर्माण करेगी। अगले चार महीने में वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। इससे कोविड वैक्सीन क्षमता एक महीने में 1.7 करोड़ खुराक बढ़ जाएगी।
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भारत बायोटेक ने अपनी चिरोन बेहरिंग वैक्सीन सुविधा का उपयोग करने का निर्णय लिया है, जिसे उसने 2019 में रेबीज के टीके बनाने के लिए ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन से हासिल किया था। इससे कोविड -19 वैक्सीन के निर्माण में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
मालूम हो कि भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ संयुक्त रूप से कोवैक्सिन विकसित किया है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, “कंपनी की योजना जीएमपी सुविधाओं में प्रति वर्ष कोवैक्सिन की 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करने की है जो पहले से ही निष्क्रिय वेरो सेल प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी पर आधारित टीकों के उत्पादन के लिए चालू हैं।”
मालूम हो कि उत्पाद 2021 कैलेंडर वर्ष (अक्टूबर) की चौथी तिमाही से उपलब्ध होने की उम्मीद है।
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इससे पहले, कंपनी ने हैदराबाद और बेंगलुरु में अपनी सुविधाओं में कोवैक्सिन की एक वर्ष में 70 करोड़ खुराक बनाने की क्षमता की व्यवस्था की थी। इसका मतलब यह होगा कि कुल मासिक क्षमता लगभग 5.8 करोड़ खुराक होगी।
हालांकि, कंपनी अभी भी इस अधिकतम क्षमता तक पहुंचने के लिए अपना उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया में है।
भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ कृष्णा एला ने पिछले महीने एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि हैदराबाद वैक्सीन निर्माता अप्रैल में एक महीने में 2 करोड़ खुराक की क्षमता को छूने में कामयाब रहा और मई में लगभग 30-35 मिलियन खुराक बनाने की उम्मीद कर रहा था।
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