जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली अंधेरे में डूब सकती है। जी हां ये मजाक नहीं है। ऐसे हो सकता है क्योंकि दिल्ली में अब केवल एक दिन का कोयला स्टॉक में बचा हुआ है।
ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर कोयले की सप्लाई नहीं मिली तो दो दिन बाद पूरी दिल्ली में ब्लैक आउट हो सकता है। इसको लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देर किये बगैर मौजूदा स्थिति के बारे में पीएम मोदी को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया है।
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CM केजरीवाल ने क्या कहा
केजरीवाल ने अपने पत्र के माध्यम से राजधानी दिल्ली में हो रहे कोयला संकट की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है। सीएम केजरीवाल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा है कि दिल्ली को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है, मैं पर्सनली पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हूं, मैंने माननीय प्रधान मंत्री को एक पत्र लिखकर उनसे इस मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है।
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Delhi could face a power crisis. I am personally keeping a close watch over the situation. We are trying our best to avoid it. In the meanwhile, I wrote a letter to Hon’ble PM seeking his personal intervention. pic.twitter.com/v6Xm5aCUbm
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 9, 2021
देश में इस समय कोयले का संकट लगातार देखने को मिल रहा है। इसका जिक्र केंद्र सरकार की ऊर्जा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है।
इसका पूरा असर बिजली के उत्पादन पर पड़ता है। दरअसल देश में अधिकतर बिजली का उत्पादन कोयले द्वारा ही होता है। देश में इस समय 135 पॉवर प्लांट ऐसे हैं, जहां कोयले से बिजली बनाई जाती है। ऐसे में आने वाले समय में गम्भीर स्थिति से गुजरना पड़ा सकता है।
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कोयला उत्पादन के एक नोट की मानें तो 1 अक्टूबर की स्थिति के मुताबिक, इन 135 पॉवर प्लांट्स में से 72 के पास तीन दिन से भी कम का कोयले का स्टॉक बचे होने की बात सामने आ रही है जबकि 4 से 10 दिन का स्टॉक मेंटेन करने वाले बिजली घरों की संख्या 50 है।
दिल्ली के ऊंजा मंत्री ने क्या कहा
उधर इस पूरे मामले पर दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन का बयान भी सामने आ रहा है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार से हमारी अपील है कि रेलवे वैगन का इंतजाम किया जाए और कोयला जल्द से जल्द प्लांट्स तक पहुंचाया जाए।
जितने भी प्लांट हैं, वे पहले से ही मात्र 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं, 3.4 लाख मेगावाट की जगह आज सिर्फ 1 लाख मेगावाट मांग रह गई है, इसके बावजूद पावर प्लांट सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं।
कुल मिलाकर दिल्ली सरकार इसपर केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रही है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि इस सकंट का हल जरूर निकल जायेगा।