प्रीति सिंह
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की शरणस्थली है। पाकिस्तान आतंक को बढ़ावा दे रहा है और इन्हें भारत को अस्थिर करने में करता है। लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान के बाद पहली बार पता चला कि पाकिस्तान 15 साल से आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
इमरान खान का यह बयान हास्यास्पद है। उन्होंने ऐसा बयान देकर अपनी खिल्ली उड़ाई है। पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों में लिप्त है इसके कितने सुबूत भारत सौंप चुका है। फिर भी इमरान खान ऐसा बयान दे रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों अमेरिका में हैं। इमरान और ट्रंप की मुलाकात चर्चा में है। इमरान कई मुद्दों को लेकर ट्रंप से मुलाकात किए।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बीते कुछ हफ्तों में शांति प्रक्रिया में काफी तरक्की हुई है और यह भी सौ फीसद सच है कि पाकिस्तान इसमें बेहद मददगार साबित हुआ है।
वहीं पाकिस्तान के पीएम ने आतंकवाद के मुद्दे पर घडिय़ाली आंसू बहाते हुए यह भी कहा कि उनका देश पिछले 15 वर्षों से आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
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इमरान का बयान हास्यास्पद
पाकिस्तान की कारगुजारियां जगजाहिर है। भारत इसकी कीमत दशकों से चुका रहा है। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के बस पर आतंकी हमला हुआ था जिसमें 44 जवान शहीद हो गए थे। ये आतंकी किसी और देश से नहीं बल्कि पाकिस्तान से आए थे।
इससे पहले जब 2016 में उरी में आतंकी हमला हुआ था, तो 17 जवान मारे गए थे। गृह मंत्रालय के आंकड़ों को खंगालें तो पता चलता है कि पिछले 5 सालों में आतंकी हमले 176 प्रतिशत बढ़ गए हैं, जिसकी वजह से आतंकियों के साथ-साथ नागरिक और सुरक्षा बलों के जवानों की मौत की संख्या भी बढ़ी है। इन आतंकी हमलों में सिर्फ शहीद होने वाले सुरक्षा बलों की संख्या में ही 93 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
पांच साल में 1708 आतंकी हमले
5 साल में कुल 1825 दिन होते हैं। इस दौरान भारत में कुल 1708 आतंकी हमले हुए। यानी सिर्फ 117 दिनों को छोड़ दें तो औसतन रोज एक आतंकी हमला हुआ है। पिछले 5 सालों में इन हमलों में 138 नागरिक और 339 सुरक्षा बलों के जवान मारे गए हैं। क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को यह दिखायी नहीं देता।
आतंकी हमलों में 176 फीसदी का इजाफा
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 2014 में ही जम्मू कश्मीर में 222 आतंकी हमले हुए हैं। इसके अलगे साल 2015 में 208 आतंकी हमले हुए। पिछले 5 सालों में ये पहली बार था, जब आतंकी हमलों में मामूली कमी आई थी, लेकिन 2016 से लेकर 2018 तक आतंकी हमले तेजी से बढ़े।
2016 में 322 आतंकी हमले हुए तो 2017 में इसमें मामूली बढ़त हुई और ये हमले 6 फीसदी बढ़कर 342 पर जा पहुंचे। सबसे अधिक आतंकी हमलों की घटनाएं 2018 में हुईं, जब इनमें 79.53 फीसदी की बढ़त हुई और कुल हमलों की संख्या 614 पर जा पहुंची।
5 साल में 1708 मौतें
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2014 से 2018 के बीच नागरिकों की मौतों की संख्या में 35.71 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि शहीद होने वाले जवानों में 93 फीसदी की।
2014 में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में 47 जवान शहीद हुए थे, जबकि 28 नागरिकों की भी मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर, सुरक्षा बलों के हाथों 110 आतंकी भी मारे गए। वहीं 2015 में 39 जवान शहीद हो गए तो 17 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई। इस साल सबसे कम 108 आतंकी मारे गए थे।
2016 में आतंकी हमले और अधिक बढ़े, जिसमें 82 जवान शहीद हुए और 15 नागरिक भी मारे गए। इसी साल सुरक्षा बलों ने 150 आतंकियों को भी मार गिराया। 2017 में हुए आंतकी हमलों में 80 जवानों के साथ-साथ 40 नागरिक मारे गए। वहीं जवानों ने 213 आतकियों को मौत के घाट उतारा।
2018 में आतंकी हमलों की सबसे अधिक घटनाएं हुईं, जिनमें 91 सैनिक मारे गए और 38 नागरिकों की जान चली गई। इस साल सुरक्षा बलों ने आतंकियों से लोहा लेते हुए 257 आतंकवादियों को ढेर किया।
गृह मंत्रालय के ये आंकड़े पाकिस्तान के आतंक की कहानी बताने के लिए पर्याप्त है। इन आंकड़ों से साफ है कि इस दौरान आतंकी घटनाओं पर लगाम लगना तो दूर, उल्टा ये घटनाएं बढ़ती ही चली गईं। 1999 का करगिल युद्ध तो याद ही होगा, उसमें 527 जवान शहीद हुए थे। वहीं पिछले 5 सालों में भारतीय सेना के जवान और नागरिकों के मरने की संख्या 477 है। अब सोचिए, पाकिस्तान कैसे आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
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