न्यूज डेस्क
एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर चुनाव आयोग है। पश्चिम बंगाल में प्रचार के मसले पर चुनाव आयोग का हालिया फैसला विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया है। बंगाल में 14 मई को हुई हिंसा को ध्यान में रखते हुए आयोग ने वहां चुनाव प्रचार पर निर्धारित समय से एक दिन पहले रोक लगा दी है। आयोग के इस फैसले की विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण का मतदान 19 मई को है। पश्चिम बंगाल में 9 सीटों पर चुनाव है। इन सीटों पर 17 मई को शाम पांच बजे चुनाव प्रचार थमना था लेकिन हिंसा के मद्देनजर आयोग ने बुधवार को आदेश जारी कर इन सभी सीटों पर 16 मई की रात 10 बजे से चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी।
चुनाव आयोग के इस फैसले को पक्षपातपूर्ण बताते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि ‘गुरुवार को पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो रैलियां हैं। उनकी रैलियां ठीक से हो जाएं इसीलिए आयोग ने गुरुवार रात दस बजे से चुनाव प्रचार प्रतिबंधित किया है। अगर वह वाकई निष्पक्ष है तो उसने गुरुवार सुबह से चुनाव प्रचार प्रतिबंधित क्यों नहीं किया?’
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी कहा, ‘चुनाव आयोग ने अपनी विश्वसनीयता पर खुद ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है। ऐसा लग रहा है जैसे वह भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय से आदेश ले रहा है और उसी के मुताबिक काम कर रहा है।’
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी आयोग के फैसले को ‘अनैतिक’ बताया है।