जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच रिश्ते अब पहले जैसे होते नजर आ रहे हैं। शिवपाल यादव साल 2017 में अपने भतीजे अखिलेश यादव से नाराज होकर अलग हो गए थे लेकिन कभी भी अखिलेश ने उन्हें अपनी पार्टी से अलग नहीं किया। शिवपाल और अखिलेश के बीच दरार के बावजूद उनके चाचा सपा के विधायक बने रहे। हालांकि इस दौरान दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई लेकिन चुनावी शिकस्त के बाद दोनों नेताओं को अलग होने से कोई फायदा नहीं हुआ।
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हालांकि अब राजनीतिक समीकरण बदलता नजर आ रहा है। शिवपाल और अखिलेश दोनों एक बार फिर साथ आते नजर आ रहे हैं। होली पर दोनों एक साथ नजर आये थे। इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव की सेहत को लेकर दोनों काफी परेशान थे। मुलायम भी यही चाहते हैं कि दोनों एक साथ फिर आए। इसके बाद एक और घटना ऐसी हुई जो शायद शिवपाल की सपा में दोबारा इंट्री के लिए रास्ता खोल सकती है।
दरअसल एसपी ने शिवपाल की सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस ले ली है। इसके बाद अखिलेश के इस कदम शिवपाल ने उनका शुक्रिया अदा किया था। उधर शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा से भी यही सकेंत मिल रहा है।
दरअसल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने पार्टी के नेताओं को निर्देश दिया है और कहा है कि समस्त प्रवक्ता व पैनजिस्ट का मनोनयन तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। इसके लिए प्रसपा ने एक प्रेस नोट भी जारी किया है और इसमें कहा गया है कि अगली सूचना तक कोई भी प्रवक्ता और पैनजिस्ट पार्टी का पक्ष रखने के लिए किसी परिचर्चा में हिस्सा न ले। प्रसपा के इस फैसले के बाद से ही लग रहा है कि प्रसपा का सपा में विलय हो सकता है।
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कयासों का दौर तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की इस मुद्दे पर मुलाकात हो सकती है और विलय की घोषणा की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर चाचा-भतीजे की जोड़ी चुनावी मैदान में करिश्मा कर सकती है। अब देखना होगा कि प्रसपा के इस कदम के बाद क्या शिवपाल दोबारा साइकिल की सवारी करेंगे या नहीं।
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