जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोरोना महामारी ने तमाम हाथों से रोज़गार छीन लिए. तमाम उद्योग बुरी तरह से चौपट हो गए. कोरोना की मार ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में पेन्सिल कारीगरों के घरों के चूल्हे बुझा दिए हैं. कोरोना की वजह से जब दो साल से स्कूल बंद हैं तो फिर पेन्सिल कौन खरीदेगा. आम दिनों में पुलवामा के ऊखू गाँव में हर घर में पेन्सिल बनती थी और इसे पेन्सिल वाले गाँव के नाम से पहचाना जाता था.
कोरोना महामारी की वजह से पुलवामा का पेन्सिल उद्योग बुरी तरह से तबाह हो गया है. दुनिया के जाने माने अखबार गार्जियन ने तबाह हुए पेन्सिल उद्योग पर स्टोरी की है. इस स्टोरी से पता चलता है कि पुलवामा का ऊखू गाँव ही एक ऐसा गाँव है जो पेन्सिल की लकड़ी उगाता है. इस गाँव से पेन्सिल की लकड़ी दुनिया के 150 देशों में सप्लाई होती है. यह रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में पेन्सिल के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी का 90 फीसदी यही गाँव मुहैया कराता है.
ऊखू में ही पेन्सिल की 17 फैक्ट्रियां हैं. जिनमें ढाई हज़ार लोग काम करते रहे हैं. कोरोना की वजह से स्कूल बंद हो गए. ऑनलाइन पढ़ाई होने लगी. पेन्सिल की डिमांड घट कर न के बराबर रह गई और देखते ही देखते बेरोजगारों की एक बड़ी जमात खड़ी हो गई. फैक्ट्रियां बंद हो गईं तो पेन्सिल बनाने वाले कारीगर मजदूर बन गए.
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