जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: नए साल पर यूएन ने भारत को खुशखबरी दी है। उसका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और 2024 में भी यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। यूएन का कहना है कि मजबूत घरेलू मांग तथा मैन्यूफैक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्रों में मजबूती से भारत का ग्रोत रेट 2024 में 6.2% रहने का अनुमान है।
बता दे कि संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएं (WESP) 2024 रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई। इसमें कहा गया कि दक्षिण एशिया की जीडीपी 2024 में 5.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। इससे भारत में मजबूत विस्तार का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
2025 में जीडीपी बढ़कर 6.6 प्रतिशत होने का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया, ‘मजबूत घरेलू मांग तथा विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि के बीच भारत में वृद्धि दर 2024 में 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2023 के 6.3 प्रतिशत के अनुमान से थोड़ा कम है।’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 2025 में जीडीपी बढ़कर 6.6 प्रतिशत होने का अनुमान है। इस वर्ष भारत में आर्थिक वृद्धि 6.2 प्रतिशत पर ‘मजबूत’ रहने का अनुमान है।
आर्थिक वृद्धि लगातार छह प्रतिशत से अधिक बनी
उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि लगातार छह प्रतिशत से अधिक बनी हुई है और हमारा मानना है कि यह 2024 और 2025 में भी जारी रहेगा। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बहुराष्ट्रीय निवेशों के दम पर भारत में 2023 में निवेश मजबूत रहा, जबकि चीन में निवेश संपत्ति क्षेत्र में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण प्रभावित हुआ।
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रिपोर्ट में कहा गया, ‘चीन में निवेश की संभावनाएं संपत्ति क्षेत्र से प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण प्रभावित हुईं, हालांकि बुनियादी ढांचे में सरकारी निवेश आंशिक रूप से निजी निवेश में कमी की भरपाई कर रहे हैं। इसके विपरीत सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बहुराष्ट्रीय निवेशों के दम पर भारत में 2023 में निवेश मजबूत रहा।’
अगस्त में सूखे का प्रकोप बढ़ा
साथ ही रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया कि जलवायु-परिवर्तन से संबंधित घटनाएं 2023 में दक्षिण एशियाई क्षेत्र को नुकसान पहुंचाती रहीं। जुलाई और अगस्त में सूखे का प्रकोप बढ़ा जिससे भारत, नेपाल और बांग्लादेश के अधिकतर हिस्से प्रभावित हुए जबकि पाकिस्तान में औसत से अधिक बारिश ने परेशानी खड़ी की। इन आपदाओं का उन देशों में बेहद गंभीर असर होने की आशंका है जहां कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा हिस्सा है।