Wednesday - 30 October 2024 - 6:15 PM

U.P के आईएएस अफसरों में बढ़ा वीआरएस लेने का चलन!

राजेंद्र कुमार,

देश और प्रदेश में आईएएस होने का मतलब है एक काफी ताकतवर अधिकारी जो बिना किसी दबाव के प्रशासनिक जिम्मेदारियों को निभाता है. ऐसे पारवरफुल अफसर होने के बार भी उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसरों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने का चलन बढ़ गया है. बीते तीन माह में पांच आईएएस अफसरों ने वीआरएस लेने के लिए अप्लाई किया है. इनमे से दो अफसरों को वीआरएस नहीं मिला तो उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा ही दे दिया. आखिर इन अफसरों का देश की इतनी प्रमुख सेवा से मोहभंग क्यों हुआ? इसका पड़ताल से यह पता चला कि सरकार में मनचाही पोस्टिंग ना मिलना और कार्पोरेट जगत में मिल रहे बेहतर विकल्प के चलते ही इन अफसरों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा को नमस्कार कर दिया है.

 

उत्तर प्रदेश में बीते तीन माह में वीआरएस लेने वाले अफसरों में 1987 बैच की आईएएस रेणुका कुमार प्रमुख हैं. यूपी काडर की सीनियर अफसर रेणुका कुमार भारत सरकार में सचिव के पद पर तैनात थी. भारत सरकार ने उनकी प्रतिनियुक्ति खत्म कर उन्हें वापस यूपी भेजा तो रेणुका कुमार ने पारिवारिक कारणों का जिक्र करते हुए वीआरएस अप्लाई कर दिया. उनकी ही तरह बीते अगस्त में केंद्रीय सूचना आयोग में सचिव के पद पर तैनात 1988 बैच की सीनियर अफसर जूथिका पाटणकर ने भी वीआरएस मांग लिया. दो सीनियर अफसरों को यह कदम उठाते देख स्टडी लीव पर चल रहे 2003 बैच के अफसर विकास गोठवाल में भी बीते माह स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वीआरएस अप्लाई कर दिया.

इसके बाद 2008 बैच के आईएएस और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक विद्या भूषण ने वीआरएस के लिए आवेदन किया, लेकिन न्यू पेंशन स्कीम में वीआरएस का प्रावधान नहीं है. इसलिए अब उन्होंने सरकारी सेवा से अलग होने के लिए राज्य सरकार को अपना त्यागपत्र (इस्तीफ़ा) ही भेज दिया है. इसी क्रम में गत मंगलवार को 2005 बैच के आईएएस अधिकारी जी. श्रीनिवासुलु ने अपना इस्तीफा नियुक्ति विभाग को भेज दिया है. श्रीनिवासुलु राजस्व विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं और जुलाई 2030 में वह रिटायर होते. लेकिन इसके पहले उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़ने का फैसला कर लिया. नियुक्ति विभाग के अफसरों के अनुसार केंद्र से एनओसी आते ही आईएएस जूथिका पाटणकर और रेणुका कुमार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी. जबकि विकास गोठलवाल, विद्याभूषण और जी. श्रीनिवासुलु के आवेदनों को केंद्र सरकार भेजा जा रहा है. केंद्र की सहमति मिलते ही ये तीनों अधिकारी भी पूर्व आईएएस अफसर कहलायेंगे.

आखिर प्रतिष्ठित सेवा क्यों हो रहा है मोहभंग? इस सवाल पर रिटायर आईएएस आरपी सिंह कहते है कि कॉर्पोरेट जगत में मनचाही नौकरी मिल रही है. इसलिए युवा आईएएस का प्रशासनिक सेवा से मोहभंग हो रहा है. वह कहते हैं, 1993 बैच के आईएएस राजीव अग्रवाल ने वीआरएस लेकर उबर इंडिया ज्वाइन कर ली. भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा देने वाले और भी कई आईएएस अफसर कार्पोरेट जगत में प्रमुख पदों पर कार्य कर रहे हैं. जिसके प्रभावित होकर अब कार्पोरेट जगत में काम करने के लिए यूपी के युवा आईएएस वीआरएस मांग रहे हैं या इस्तीफ़ा दे रहे हैं.

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