जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी आने के पहले भी दुनिया के कई देशों में भुखमरी का संकट था लेकिन महामारी आने के बाद से यह संकट और बढ़ गया है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन महीनों में 23 देशों में गंभीर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार थियोपिया, दक्षिण सूडान, दक्षिणी मैडागास्कर, यमन और उत्तरी नाइजीरिया में स्थितियां भयावह हो सकती हैं।
UN के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने अगस्त और नवंबर के बीच भूख संकट का सामना कर रहे संभावित देशों पर ताजा रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भोजन की कमी से स्थिति और खराब हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार ऐसे देशों में इथियोपिया सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तत्काल सहायता नहीं दी गई, तो इथियोपिया में भूखे और भूख से मरने वाले लोगों की संख्या चार लाख पार कर सकती है जो कि सोमालिया में 2011 के अकाल से मरने वालों की संख्या से भी ये अधिक है।
एफएओ और डब्ल्यूएफपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भूख संकट न केवल अपने आकार बल्कि इसकी गंभीरता के संदर्भ में भी गंभीर होता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर जीवन व आजीविका बचाने के लिए तत्काल मदद नहीं दी जाती है, तो दुनिया भर में कुल 4.1 करोड़ लोगों के सामने भुखमरी या अकाल जैसी स्थिति का खतरा है।”
यह भी पढ़ें : यूपी की सियासत में क्या ब्राह्मणों के दिन बहुरेंगे ?
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : इसे मैंने आखिर लिख क्यों दिया?
यह भी पढ़ें : ऐसे ही नहीं कहा गया था सिंधु को भावी सायना
क्या है कारण?
यूएन की दोनों एजेंसियों ने इथियोपिया के टिग्रे, दक्षिणी मैडागास्कर और पांच सबसे गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों का हवाला देते हुए वैश्विक भूख संकट से सबसे अधिक प्रभावित 23 देशों में तत्काल सहायता का आह्वान किया है। यमन, दक्षिण सूडान और उत्तरी नाइजीरिया में अकाल और मौतों को रोकने के लिए तत्काल सहायता की जरूरत है।
एजेंसियों का कहना है कि “बिगड़ती स्थिति का मुख्य कारण इन क्षेत्रों में चल रहे संघर्ष के साथ-साथ कोविड-19 की महामारी के प्रभाव हैं।”
इसके अलावा खाद्य कीमतों में वृद्धि, परिवहन प्रतिबंधों के कारण बाजार तक सीमित पहुंच, मुद्रास्फीति के कारण क्रय शक्ति में गिरावट, साथ ही विभिन्न आपदाओं के कारण फसल को नुकसान भुखमरी के बढऩे के अन्य कारण हैं।
यह भी पढ़ें : कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर में पहुंचेगी पीक पर : रिपोर्ट
यह भी पढ़ें : गुल पनाग ने पीएम मोदी का किया घेराव, कहा- हमारे पीएम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस…
अफगानिस्तान में भी भूख संकट
रिपोर्ट के अनुसार, ‘गंभीर खाद्य असुरक्षा’ से पीडि़त लोगों की सबसे अधिक संख्या वाले नौ देशों में अफगानिस्तान भी एक है। अन्य देश बुरकिना फासो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोलंबिया, कांगो, हैती, होंडुरास, सूडान और सीरिया हैं।
एफएओ और डब्ल्यूएफपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जून और नवंबर के बीच अफगानिस्तान में 35 लाख लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जो दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। इससे कुपोषण और मौत का खतरा बना रहता है।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान सिर्फ ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे स्कूल
यह भी पढ़ें : वैक्सीनेशन और मास्क से कम किया जा सकता है तीसरी लहर का असर
रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि अगस्त तक अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी से हिंसा में वृद्धि हो सकती है। अधिक लोगों का विस्थापन हो सकता है और मानवीय सहायता वितरित करने में कठिनाई हो सकती है।
सबसे ज्यादा प्रभावित देश
यूएन की एजेंसियों का कहना है कि दक्षिण सूडान, यमन और नाइजीरिया अलर्ट सूची में सबसे ऊपर हैं। इथियोपिया और दक्षिणी मैडागास्कर को भी पहली बार सूची में जोड़ा गया है।
उनका कहना है कि अक्टूबर और नवंबर 2020 से दक्षिण सूडान के पाबोर काउंटी के कुछ हिस्सों में अकाल पड़ रहा है और समय पर और निरंतर मानवीय सहायता की कमी के साथ-साथ दो अन्य क्षेत्रों में भी स्थिति जारी रहने की संभावना है।