जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक साबित हो रही है। आलम तो यह है कि हर दिन चार लाख से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जा रही है।
इतना ही नहीं ये किसी को पता नहीं है कि कोरोना कब खत्म होगा। जहां एक ओर पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है तो वहीं अब तीसरी लहर भी आने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर का नाम सुनते ही आम लोगों में अब डर का माहौल बन गया है।
तीसरी लहर को लेकर कहा जा रहा है कि यह लहर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है और इसमें बच्चे भी शिकार हो सकते हैं । इस स्थिति में माता पिता बार-बार अपने डॉक्टरों से पूछ रहे हैं कि कैसे तीसरी लहर से बच्चों को बचाया जा सके।
क्या कहते हैं आंकड़े
बात अगर दूसरी लहर की जाये तो महाराष्ट्र में 0 से 10 साल के एक लाख 45 हजार 930 बच्चे कोरोना की जद में आ चुके हैं।
इतना ही नहीं यहां हर दिन 300 से 500 के करीब बच्चे कोरोना की चपेट में आ रहे हैं।
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11 से 20 साल के 3 लाख 29 हजार 709 बच्चे और युवा कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इस वजह से लोगों में तीसरी लहर को लेकर अच्छाखासा डर का मौहाल बना हुआ है।
एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार तीसरी लहर में इसमें बच्चे ज्यादा शिकार हो सकते हैं। गोरखपुर के पूर्वांचल मल्टी स्पेशलिटी एंड क्रिटिकल केयर अस्पताल के नवजात शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद नायक ने बताया है कि कोरोना की पहली लहर में बुजुर्ग ज्यादा चपेट में आये है तो दूसरी लहर में युवा ज्यादा इसका शिकार हुए है। ऐसे में तीसरी लहर को लेकर वायरोलॉजिस्ट व विशेषज्ञों का प्रेडिक्शन है कि इसमें बच्चे ज्यादा शिकार हो सकते हैं।
डॉ प्रमोद की माने तो मौजूदा दौर में बच्चों को वैक्सीनेशन में भी नहीं लाया गया है, और न ही उनके लिए खास दवाएं इजाद की गई हैं तो सबसे जरूरी उन्हें बचाना ही है।
साथ ही हम उनकी इम्यूनिटी को और बूस्ट अप कर सकते हैं। आप इसके लिए छह महीने से ऊपर की उम्र के बच्चों को कुछ सप्लीमेंट का कोर्स करा सकते हैं। उन्होंने बताया है कि इसमें 15 दिन के लिए जिंक, एक महीने का मल्टी विटामिन और एक ही महीने का कैल्शियम का कोर्स करा सकते हैं। बच्चों से थोड़ी सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखनी ही रखनी है।
इसके अलावा बच्चों को जुकाम या पेट की समस्याओं से बचाना है, क्योंकि इससे उन्हें इम्यूनिटी लॉस होता है। इसलिए बच्चों को ज्यादा ठंडा पानी या तैलीय भोजन वगैरह से बचाएं। इसके बजाय उन्हें दालें, हरी सब्जियां और ताजे फल खिलाएं। डॉक्टर की माने तो बच्चों में हल्के लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें।
अगर बच्चे में डायरिया, जुकाम, खांसी या सांस लेने की समस्या व थकान-सुस्ती जैसे लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं और तत्काल डॉक्टर की सलाह लें। बच्चों की कोरोना जांच भी जरूर कराएं।
ये टिप्स हो सकती है कारगर
- बच्चों को बाहर से आने वाले लोगों के सम्पक में न लाएं
- बच्चों को किसी भी समारोह या फिर बाजार लेकर नही जाये
- घर में कोई बीमार है तो ऐसी स्थिति में बच्चों को मॉस्क पहना चाहिए और एक ही कमरे में रहने दे
- बच्चों को बाहर खेलने भी नहीं देना चाहिए