न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर लंबे समय से निशाने पर है। अब तक विपक्षी दल कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे थे, लेकिन इस बार देश की सर्वोच्च न्यायालय ने निशाना साधा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को कहा कि हम उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसा लगता है कि यूपी में जंगलराज है। आखिर ऐसा क्यों होता है कि अधिकतर मामलों में यूपी सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास संबंधित अथॉरिटी का कोई उचित निर्देश नहीं होता।
दरअसल यह टिप्पणी कोर्ट ने बुलंदशहर के सैकड़ों वर्ष पुराने एक मंदिर से जुड़े प्रबंधन के मामले की सुनवाई के दौरान की।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश में कोई ट्रस्ट या सहायतार्थ ट्रस्ट एक्ट है? क्या वहां मंदिर व सहायतार्थ चंदे को लेकर कोई कानून है? इस सवाल के जवाब में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
वकील के इस जवाब पर नाराज होकर पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि राज्य सरकार चाहती ही नहीं कि वहां कानून हो। पीठ ने कहा, लगता है वहां जंगलराज है। हम यूपी सरकार से परेशान हो गए हैं। हर दिन ऐसा देखने को मिलता है कि सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास उचित निर्देश नहीं होते हैं। फिर चाहें वह दीवानी मामला हो या आपराधिक। पीठ ने पूछा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
नाराज पीठ ने 2009 के इस मामले में अब यूपी के मुख्य सचिव को तलब किया है। पीठ ने कहा, हम सीधे मुख्य सचिव से जानना चाहते हैं कि क्या यूपी में मंदिर और सहायतार्थ चंदे को लेकर कोई कानून है? पीठ ने मुख्य सचिव को मंगलवार को पेश होने को कहा है।
क्या है मामला
यह मामला बुलंदशहर के करीब 300 वर्ष पुरानी श्री सर्वमंगला देवी बेला भवानी मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा है। विजय प्रताप सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें मंदिर के चढ़ावे को वहां काम करने वाले पंडों को दे दिया गया था।
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