- रामनगरी की राजनीति मे निर्मल और लल्लू की जुगलबंदी पर चर्चाओं का बाजार गर्म…
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। कांग्रेसी पूर्व सांसद निर्मल खत्री के पुस्तक मेले में भाजपा सांसद लल्लू सिंह के मुख्य अतिथि बनने से राम नगरी के राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मच गई है। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि अपने अपने दलों के ये दोनों राजनीतिक मठाधीश अपने पुत्रों को राजनीतिक विरासत सौंपना चाहते हैं। पूर्व कांग्रेसी सांसद का लल्लू के प्रति मन निर्मल होना आने वाले समय में बड़ा गुल खिला सकता है।
डॉक्टर लोहिया राजनीति के क्षेत्र में परिवारवाद के घोर विरोधी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक रूप से भले ही परिवारवाद की आलोचना करते हो लेकिन संपूर्ण रूप से देखा जाए तो अब यह मुद्दा धारदार नहीं रहा। सभी राजनीतिक दलों में परिवारवाद का बोलबाला है। अयोध्या जनपद की राजनीति में लल्लू और निर्मल सीधे तौर पर अभी तक परिवारवाद की राजनीति से दूर थे। माना जा रहा है कि राजनीतिक क्षेत्र में ईमानदार छवि के ये दोनों नेता भी पुत्र मोह के लिए शतरंज की बिसात बिछा रहे हैं।
अयोध्या में हो रहे जमीन घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री को लिखे गए लल्लू सिंह के पत्र ने अयोध्या के राजनीति की हवा बदल दी है। हालांकि सांसद लल्लू सिंह भूमि खरीद मामले को उठाकर एक तरफ तो अपने ही दल में विपक्ष हो गए तो दूसरी ओर उन्होंने हाशिये पर जाती अपनी राजनीति को केंद्र में ला दिया। लल्लू सिंह ने जनता के मन की बात मुख्यमंत्री से कहकर कई सूरमाओं के पांव उखाड़ दिए।
भाजपा सांसद लल्लू सिंह की राजनीति उनकी साफ छवि के सहारे बढ़ी थी। आयु के एक पड़ाव पर राजनीति तो छोड़नी ही है। ऐसे में उन्होंने अयोध्या की राजनीति में एक ऐसा मुद्दा उठाया जिससे सारे प्रतिस्पर्धी परेशान हो गए, और एक बार फिर लल्लू के छवि की चर्चा होने लगी। इस तरह से उन्होंने अपने बेटे के लिये माहौल तैयार कर दिया है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद निर्मल खत्री अपने पिता की याद में पिछले कई वर्ष से पुस्तक मेले का आयोजन करते हैं। इस मेले में कई जानी-मानी हस्तियों ने अब तक भाग लिया है। इस बारके तीन दिवसीय पुस्तक मेले में मुख्य अतिथि के नामों ने फैजाबाद के राजनीतिक प्याले में तूफान खड़ा कर दिया और चर्चाओं का बाजार गर्म हो उठा।
श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के बाद अंतिम दिन भाजपा सांसद लल्लू सिंह पुस्तक मेले के मुख्य अतिथि बने। कई वर्षों से हो रहे इस पुस्तक मेले में यह पहला अवसर है कि जब निर्मल और लल्लू की जुगलबंदी दिखाई पड़ी।
राम नगरी में कांग्रेस की राजनीति पूर्व सांसद निर्मल खत्री के इर्द-गिर्द ही घूमती है। चुनाव में उनकी छवि उनके अपने लिए तो काम करती है लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवारों को लाभ नहीं पहुंचा पाती है। फैजाबाद लोकसभा की पांचों विधानसभा में कांग्रेसी उम्मीदवार पंद्रह हजार वोट तक सिमट जाते हैं जबकि स्वयं निर्मल जब उम्मीदवार होते हैं तो गिरे हाल में भी ये आंकड़ा लाख के आसपास होता है।
अयोध्या विधानसभा क्षेत्र और नगर निगम अयोध्या के क्षेत्र में लल्लू और निर्मल दोनों की पकड़ एक खास वर्ग के मतदाता पर बराबर है। राजनीति के अंदर खाने लल्लू और निर्मल एक होने का संदेशा तैर गया तो नगर निगम महापौर के चुनाव के लिए यह जोड़ी बड़ा गुल खिला सकती है। चर्चा तो यह भी है कि कोई कांग्रेसी भाजपा का उम्मीदवार हो सकता है।
निर्मल और लल्लू की जुगलबंदी बनी रही तो आने वाले समय में अयोध्या विधानसभा के चुनाव में भी दलीय प्रतिबद्धता के साथ इनके मंसूबे सधेंगे। फिलहाल पत्र, पुस्तक की आड़ में रामनगरी के ये दोनों राजनीतिक स्तंभ सधी राजनीति साध रहे हैं। लल्लू ने पत्र की राजनीति से नगर निगम की राजनीति को साधा तो पुस्तक मेले में लल्लू को बुलाकर निर्मल खत्री ने नए राजनीतिक गठजोड़ के संकेत दे दिए हैं।