जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि क़ानून वापस ले लेने का एलान कर दिया है लेकिन किसानों का आन्दोलन पहले की तरह से जारी है. किसानों ने भी एलान कर दिया है कि जब तक संसद में आधिकारिक रूप से क़ानून वापस नहीं ले लिया जाता तब तक उनका आन्दोलन चलता रहेगा. किसानों के एलान के बाद प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय मंत्रीमंडल की बैठक बुलाई है. इस बैठक में कृषि क़ानून वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया जायेगा और संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस क़ानून को वापस ले लिया जायेगा.
प्रधानमन्त्री द्वारा बुलाई गई मंत्रीमंडल की बैठक के बावजूद किसान 22 नवम्बर को लखनऊ में होने वाली महापंचायत की तैयारियों में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं. लखनऊ में होने वाली महापंचायत में 40 किसान संगठनों की भागीदारी होगी. महापंचायत का स्वरूप वैसा ही होगा जैसा प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले तय किया गया था लेकिन अब महापंचायत में तीन कृषि कानूनों का मुद्दा नहीं उठेगा. महापंचायत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया जायेगा.
लखनऊ की महापंचायत में किसान एक तरफ आन्दोलन के दौरान मरने वाले किसानों के लिए मुआवज़े की मांग उठाएंगे तो दूसरी तरफ किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमो की वापसी की मांग भी करेंगे. किसानों का कहना है कि संसद से तीन कृषि कानूनों के रद्द हो जाने, एमएसपी की गारंटी मिल जाने, आन्दोलन के दौरान मरने वाले किसानों के लिए मुआवज़े का एलान हो जाने और आन्दोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे हटाये जाने की घोषणा के बाद किसान आमने घरों को लौट जायेंगे.
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