जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. कोरोना महामारी के दौरान भुखमरी की कगार पर पहुँच गए साप्ताहिक बाजार के दुकानदारों की गाड़ी पटरी पर लौटी तो वह अपने नेताओं की अवैध वसूली से परेशान हैं. राजधानी लखनऊ में पांच साप्ताहिक बाजार लगते हैं. रविवार को नक्खास, मंगलवार को आलमबाग, बुधवार को महानगर, बृहस्पतिवार को अमीनाबाद और शनिवार को सदर. इनमें से महानगर वसूली का मुख्य अड्डा है.
आजादी के 75 साल का जश्न मनाने के लिए सरकार ने हर हाथ को तिरंगे का अधिकार दिया तो व्यापारी नेता कैसे चूक जाते. इन नेताओं ने महानगर बाजार में तिरंगा यात्रा निकाली. तिरंगा यात्रा बाजार का चक्कर लगाने के बाद जैसे ही खत्म हुई व्यापारी नेता अपने साथ भीड़ लेकर वसूली के लिए निकल पड़े.
इस वसूली में एक ख़ास बात यह है कि वसूली ताकतवर दुकानदारों से नहीं होती है. जो दुकानदार कमजोर हैं और जिनकी बात कहीं सुनी नहीं जाती है उन्हें पैसा देने को मजबूर किया जाता है. जो पैसा देने से ना नुकुर करता है उसकी दुकान न लगने देने की धमकियां दी जाती हैं. कई बार मारपीट भी हो जाती है.
जानकारों का कहना है कि यह व्यापारी नेता महीने में लगभग दो लाख रुपये की वसूली करते हैं. इसमें से पांच हजार रुपये शहीद व्यापारी नेता अब्दुल रफीक खान के परिवार को दिया जाता है और बाकी पैसों की बन्दरबांट हो जाती है. अब्दुल रफीक खान के परिवार को भी पांच हजार रुपये इसलिए दे दिए जाते हैं क्योंकि यह वसूली उन्हीं के नाम पर होती है.
साप्ताहिक बाजार के दुकानदारों का कहना है कि वह अगर अवैध वसूली का विरोध करेंगे और पैसा नहीं देंगे तो उनकी दुकान उजाड़ दी जायेगी. तमाम दुकानदारों की दुकानें उजाड़ी भी जा चुकी हैं. अपनी दुकान बचाने और भरे बाजार में अपमानित होने से बचने के लिए वह इन नेताओं को रंगदारी दे देते हैं. हालांकि अब कुछ दुकानदार एकजुट होने लगे हैं और उन्होंने इस अवैध वसूली की शिकायत सक्षम अधिकारियों से करने का फैसला कर लिया है.
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