जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान में हुए तालिबान के उभार को बड़ी विपत्ति बताते हुए इसे ख़ुफ़िया एजेंसियों की विफलता करार दिया है. यूरोपीय संघ ने कहा है कि अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अगर अफगानिस्तान में राष्ट्र निर्माण को महत्व दिया होता तो वहां आज यह हालात नहीं बने होते.
यूरोपीय संघ में विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि पश्चिमी देशों की सेनाओं का लक्ष्य आतंकवाद का खात्मा कर क़ानून का राज स्थापित करना है. इसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना भी शामिल है. बीस साल तक अफगानिस्तान में अमरीकी सेना पड़ी रही लेकिन उसके पूरी तरह से जाने से पहले ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया और अफगानियों के मानवाधिकार को कुचलकर रख दिया.
जोसेप बोरेल ने कहा है कि अफगानिस्तान को लेकर पश्चिमी देशों ने अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह ठीक से नहीं किया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से तालिबान के सामने अफगानी सेना ने कुछ ही दिनों में अपने हथियार डाल दिए उससे यह साफ़ तौर पर महसूस होता है कि खुफियातंत्र पूरी तरह से फेल हो गया.
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अफगानिस्तान से अचानक अमरीकी सैनिकों की वापसी और उसके फ़ौरन बाद अफगानिस्तान में तालिबान राज के आ जाने से दुनिया भर में अमेरिका की जमकर निंदा हुई है. तालिबान जिस तरह से वहां मानवाधिकार को रौंद रहा है उसे लेकर भी दुनिया चिंता में है.