Monday - 28 October 2024 - 2:20 PM

डाकिया डाक लाया, ख़ुशी का पयाम कहीं, कहीं दर्दनाक लाया…

न्यूज डेस्क

डाकिया डाक लाया…डाकिया डाक लाया
ख़ुशी का पयाम कहीं, कहीं दर्दनाक लाया

इस गीत की प्रासंगिकता सोशल मीडिया के इस दौर में खत्म हो गई है। करीब एक दशक पहले तक गांव हो या शहर, सभी को डाकिए का इंतजार रहता था। खुशी की खबर हो या गम, दोनों डाकिए के ही मार्फत मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब किसी को डाकिए का इंतजार नहीं रहता।

वाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया की लोकप्रियता के दौर में अब किसी को अपनों को चिट्ठी लिखने की जरूरत नहीं पड़ती। इसका परिणाम यह हुआ कि जहां हाथों से लिखी  चिट्ठी पढ़कर मन में अपनेपन की अनुभूति होती थी और अक्सर ऐसे पत्र से एक भावनात्मक याद जुड़ जाती थी, वह भाव खत्म हुआ तो वहीं डाक टिकटों की बिक्री में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत डाक विभाग से मिले आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार डाक टिकटों की बिक्री में साल दर साल गिरावट आती जा रही है।

मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा हासिल आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में डाक विभाग को टिकटों की बिक्री से मिलने वाला राजस्व इसके पिछले साल के मुकाबले 78.66 प्रतिशत घटकर 78.25 करोड़ रुपये रह गया है।

वित्तीय वर्ष 2017-18 में डाक विभाग ने टिकट बेचकर 366.69 करोड़ रुपये कमाए थे तो वहीं वित्तीय वर्ष 2016-17 में टिकट बिक्री से 470.90 करोड़ रुपये डाक विभाग ने अपने खजाने में जमा किए थे।

डाक विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह महकमा आम डाक टिकटों के अलावा राजस्व टिकट, फिलैटली (डाक टिकटों का शौकिया संग्रह) के टिकट और अन्य टिकट भी बेचता है। हालांकि, महकमे के सकल टिकट राजस्व में सबसे बड़ा हिस्सा डाक टिकटों का ही होता है।

पोस्टमैन रामलाल कहते हैं कि, ‘एक जमाना था, जब हमारा थैला चिट्ठयों से ठसाठस भरा रहता था। इसमें निजी और सरकारी सब तरह की ढेरों चिट्ठियां होती थीं, लेकिन अब निजी पत्र कम ही देखने को मिलते हैं। इन दिनों हमारे थैले में अलग-अलग सरकारी विभागों और निजी कम्पनियों की चिट्ठयों  की भरमार होती है।’ 

सोशल मीडिया ने पैदा की दूरी

संचार के आधुनिक साधनों के प्रभाव से सभी चिंतिंत है। सोशल मीडिया पल भर में अपनों तक आपकी बात भले ही पहुंचा देता है लेकिन वह भावनाएं पहुंचाने में नाकाम है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इस तेज रफ्तार दौर में सोशल मीडिया और तुरंत संदेश भेजने वाली सेवाओं का भी अपना महत्व है। सवाल बस इतना है कि आप संचार के साधनों का इस्तेमाल किस तरह करते हैं?

अक्सर देखा गया है कि सोशल मीडिया के कई यूजर किसी पोस्ट पर खासकर नकारात्मक प्रतिक्रिया देने में बड़ी जल्दबाजी करते हैं। यह अधीरता उनके लिए बाद में तनाव और भावनात्मक उथल-पुथल का सबब बन जाती है, क्योंकि हर बात पर फौरन प्रतिक्रिया देने की आदत से मानवीय रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं।

यह भी पढ़ें : अब पछताए होत क्या…जब चिड़िया चुग गई खेत !

यह भी पढ़ें :  प्रमुख प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों के 2911 पद खाली

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com