जुबिली न्यूज डेस्क
पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की उस टिप्पणी के लिए उन पर निशाना साधा कि विपक्षी नेतृत्व का फैसला लोकतांत्रिक रूप से किया जाना चाहिए।
खुर्शीद ने ट्वीट कर कहा, ” प्रशांत किशोर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की लोकतांत्रिक पसंद पर सवाल उठाने के लिए देवत्व का उपयोग करते हैं। राजनीति के बारे में कॉपी बुक ज्ञान मानव आचरण को प्रभावित नहीं करता है। राजनीति केवल चुनाव जीतने के बारे में नहीं है।”
PK has curious take on democracy. He uses divinity to question democratic choice of Congress workers. This tells us that copy book wisdom about politics does not factor human conduct. Politics is not ONLY about winning elections. But how does commerce know?
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) December 3, 2021
उन्होंने कहा, “पीके के लिए सबक: देवत्व विश्वास के बारे में है। लोकतंत्र विश्वास के बारे में है। अन्य लोग लोकतांत्रिक पसंद के लिए स्क्रिप्ट नहीं लिख सकते हैं। अगर लोकतांत्रिक विकल्प समझ में नहीं आता है, तो स्कूल वापस जाएं और नए सिरे से शुरू करें। शायद आस्था और विश्वास को अलग-अलग करना भाजपा को जवाब होगा।”
Lesson for PK: Divinity is about Faith. Democracy is about faith. Other people cannot write the script for democratic choice. If democratic choice not understood go back to school and begin afresh. Perhaps differentiating Faith and faith will answer BJP
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) December 3, 2021
गुरुवार को पीके ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि पार्टी का नेतृत्व “किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार” नहीं है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था, “कांग्रेस जिस विचार और स्थान का प्रतिनिधित्व करती है, वह एक मजबूत विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है, खासकर जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी से अधिक चुनाव हार गई हो। विपक्षी नेतृत्व को लोकतांत्रिक तरीके से तय करने दें।”
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प्रशांत किशोर की यह टिप्पणी टीएमसी प्रमुख व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान “अब कोई यूपीए नहीं है” के बरद आई है। दरअसल प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के राजनीतिक सलाहकार भी हैं। इसलिए पीके का बयान अहम है।
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ममता बनर्जी की टिप्पणी की कांग्रेस के कई नेताओं ने आलोचना की। उन्होंने उन पर विपक्षी एकता में दरार पैदा करके बीजेपी की सहायता करने का आरोप लगाया।
ममता बनर्जी, जिन्होंने 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) से अपनी पार्टी को अलग कर लिया था, राष्ट्रीय स्तर पर टीएमसी को कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश करने के लिए एक विस्तार अभियान पर हैं।