जुबिली न्यूज डेस्क
अयोध्या में जहां एक तरफ राम मंदिर का निर्माण की रफ्तार तेज है, वहीं अगर मस्जिद की बात कर तो निर्माण कार्य आगे बढ़ने के बजाए अभी तक शुरु भी नहीं हुआ है. वहीं खबरों की मानें तो मंदिर निर्माण का काम 60 फीसदी तक पूरा हो चुका है. लेकिन मुसलमानों के लिए बाबरी मस्जिद के मुआवाव्जे के रूप में आवंटित की गई थी उसका काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है. इसकी सबसे बड़ी वजह पैसों की कमी बताई जा रही है. पैसों की कमी के चलते मस्जिद का नक्शा पास नहीं हो पा रहा है.
डेवलपमेंट टैक्स 10-12 करोड़
मीडिया रिपोर्ट की माने तो, नक्शा पास कराने के लिए डेवलपमेंट टैक्स के तौर पर 10-12 करोड़ रुपए जमा करने हैं. लेकिन वक्फ बोर्ड द्वारा गठित समिति इसके लिए पैसों की व्यवस्था नहीं कर पाई है. बता दें कि अयोध्या में मस्जिद निर्माण की देखरेख करने के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इंडो-इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन नाम से एक समिति का गठन किया था.
योगी सरकार से विकास शुल्क माफी का अनुरोध
जानकारी के मुताबिक अब समिति के सदस्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से विकास शुल्क की फुल छूट के लिए अनुरोध करने की योजना बना रहे हैं. इंडो-इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन के सदस्य योगी सरकार से मस्जिद का नक्शा पास कराने के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण को जमा किए जाने वाले विकास शुल्क की पूरी छूट की मांग का अनुरोध कर सकते हैं.
12 करोड़ रुपये करने हैं जमा
मस्जिद के नक्शे की अंतिम मंजूरी के लिए IICF को कथित तौर पर श्रम उपकर और विकास कर के रूप में लगभग 10-12 करोड़ रुपये जमा करने हैं, जबकि क्राउडफंडिंग के माध्यम से अब तक मस्जिद के लिए कुल 50 लाख रुपये ही प्राप्त हुए हैं.
भूमि नियमों को बदला
IICF के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि बीच में हमने मस्जिद के लिए पैसे जुटाना बंद कर दिया था क्योंकि इसके निर्माण रास्ते में कई तरह की समस्याएं आ रही थी. IICF के सचिव अतहर हुसैन सिद्दीकी ने कहा कि समिति राज्य सरकार की आभारी है, जिसने उस क्षेत्र के भूमि नियमों को बदल दिया है जिसमें मस्जिद की योजना बनाई गई है. इससे उनके लिए प्रक्रिया आसान हो गई है.
ये भी पढ़ें-एलन मस्क का तोहफा, Twitter पर अब अपलोड कर सकेंगे 2 घंटे का वीडियो
अधिकारियों को एक पत्र भेजा जाएगा
रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दीकी ने कहा, “हम पिछले महीने नक्शे की अंतिम स्वीकृति के लिए आवेदन करने के लिए तैयार थे, लेकिन जब हमने इसके लिए एडीए से संपर्क किया, तो हमें बताया गया कि हमें विकास और श्रम उपकर के रूप में कुछ पैसे जमा करने हैं. जब हमने पूछताछ की तो यह कई करोड़ की रकम निकली. वर्तमान में हम इसे जमा करने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए हमने विकास शुल्क माफ करने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध करने का निर्णय लिया है. इसके लिए हमारे अध्यक्ष द्वारा राज्य के अधिकारियों को एक पत्र भेजा जाएगा.”
ये भी पढ़ें-राहुल गांधी की ‘मोहब्बत की दुकान’ अब यहां खुलेगी
आखिर कैसे बना इतना टैक्स?
दरअसल नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही मस्जिद को लेकर भी भूमि आवंटित करने का फैसला दिया था. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने को कहा गया था. ये अयोध्या शहर से 25 किमी दूर धन्नीपुर नाम के इलाके में बननी है.ADA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विकास टैक्स, परियोजना की कुल लागत का 2-3% होता है और लेबर सेस 1%. IICF के मुताबिक, तीन चरणों वाले मस्जिद प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 300 करोड़ रुपये है. इस हिसाब से 10-12 करोड़ रुपये टैक्स बना है.