स्पेशल डेस्क
आगरा। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का मामला लगातार बढ़ रहा है। हालांकि कुछ जगहों पर कोरोना को काबू किया गया है लेकिन अब उन्हीं शहरों में एक बार फिर कोरोना वायरस अपनी जड़े मजबूत कर रहा है। इतना ही नहीं जिस आगरा मॉडल की हर कोई तारीफ कर रहा था अब वहीं पर कोरोना ने एक बार फिर अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है।
आलम तो यहा है कि वहां के लोग अब दहशत में है और सूबे के मुखिया से मदद की गुहार लगा रहे हैं। आगरा में बढ़ते मामले को देखकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार कोरोना को काबू करने की बात कह रही है लेकिन उसके इंतेजाम अब नाकाफी नजर आ रहे हैं।
महापौर नवीन जैन ने आगरा को कोरोना से बचाने के एिल सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जी को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगायी है।
उन्होंने पत्र के माध्यम से सीएम को कोरोना को लेकर आगरा प्रशासन की लचर रवैये को लेकर उन्हें अवगत कराया है। महापौर का पत्र अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है और इस पत्र में कहा गया है कि शहर में कोरोना के बिगड़ते हालात और आम जनमानस को होने वाली परेशानी के लिए सीधे-सीधे जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने यह पत्र 21 अप्रैल को लिखा था।
इस पत्र में महापौर नवीन जैन ने लिखा कि आगरा शहर में वैश्विक महामारी कोरोना के मरीजों की संख्या 313 तक पहुंच चुकी है, आशंका है कि यदि उचित प्रबंधन नहीं हुआ तो इस संख्या में काफी बढ़ोतरी हो सकती है और आगरा देश का वुहान बन सकता है।
आगे पत्र में लिखा है कि स्थिति को नियंत्रित करने में स्थानीय प्रशासन नकारा साबित हुआ है। स्थानीय प्रशासन द्वारा हॉट स्पॉट एरिया में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही है, ना ही वहां मरीजों के लिए भोजन एवं पानी का उचित प्रबंधन किया जा रहा है।
सरकारी हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों को छोड़ अन्य मरीजों को नहीं देखा जा रहा है, स्थिति विस्फोटक हो चुकी है। डायलिसिस, अन्य जांचें व समुचित इलाज ना मिलने से मरीज मर रहे हैं जिसका उदाहरण सिकंदरा निवासी आरबीसी पुंडीर हैं। दवाइयां ना मिलने के कारण लोग परेशान हैं।
प्राइवेट हॉस्पिटल बंद है और जो मरीज गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है उनका उपचार भी नहीं हो पा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटलों के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है, धरातल पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। लॉक डाउन में आवश्यक सेवाएं खाद्य एवं रसद सामग्री (सब्जी, फल, दूध इत्यादि) के डोर स्टेप डिलीवरी के दावे तो किए गए, किंतु यह सभी आवश्यक वस्तुएं जनसामान्य तक समुचित ढंग से नहीं पहुंच पा रही हैं। जहां कहीं उपलब्ध है तो वहां जमकर कालाबाजारी हो रही है।
आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को नहीं संभाल पा रहे हैं, वरिष्ठ अधिकारी अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। केवल 15-20 मिनट के लिए फोटोग्राफी कराने के उद्देश्य से बाहर निकलते हैं जिससे रिकॉर्ड रखा जा सके। इनके क्रियाकलापों की वजह से आम जनमानस भाजपा की सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को कोस रही है तथा आम जनमानस में काफी आक्रोश व्याप्त है।
स्थानीय प्रशासन पंगु बना हुआ है जिसके कारण सरकार की छवि धूमिल हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत दुखी मन से आप को पत्र लिख रहा हूं कि मेरा आगरा अत्यधिक संकट के दौर से गुजर रहा है। आगरा को बचाने के लिए कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है। स्थिति अत्यधिक गंभीर हो चुकी है। इसलिए मैं आपसे हाथ जोडक़र प्रार्थना कर रहा हूं कि मेरे आगरा को बचा लीजिए, बचा लीजिये। अब देखना होगा उनके इस पत्र पर योगी सरकार आगरा में कोई एक्शन लेती है या नहीं।
क्या था आगरा मॉडल
जिन क्लस्टर में कोरोना संक्रमण ज्यादा पाए गए हैं उनके लिए केंद्र सरकार ने एक कंटेनमेंट प्लान बनाया था। आगरा ने उसी प्लान को अपनाया।
इस प्लान के तहत पूरे क्लस्टर को तीन हिस्सों में बांटा गया। आगरा में भी वही किया गया।
- 1. बफर जोन – इसके प्लान के तहत 5 किलोमीटर को बफर जोन मान कर वहां कोराना संक्रमण से निपटने की तैयारी की गई।
- 2. कंटेनमेंट जोन – बफ़र जोन के भीतर के 3 किलोमीटर के दायरे को एपिसेंटर या फिर कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया।
- 3. हॉटस्पॉट – अंत में कंटेनमेंट जोन के अंदर आने वाले इलाके को हॉटस्पॉट मान कर सील कर दिया गया