न्यूज डेस्क
देश में जल्द ही नई शिक्षा नीति लागू होगी। इस नीति के तहत देश में पढ़ाई का नया फार्मूला 5+3+3+4 होगा। नई सरकार के गठन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यभार संभालने के कुछ देर बात ही नई शिक्षा नीति बना रही कमेट ने इसका ड्राफ्ट सौंप दिया।
गौरतलब है कि मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और इसमें संसोधन 1992 में हुआ था। अब जो नई एजुकेशन पॉलिसी लायी जा रही है वह 2014 के आम चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के घोषणा-पत्र का हिस्सा थी। फिलहाल नई पॉलिसी के तहत 12वीं तक के क्लास के लिए 5+3+3+4 का फार्मूला बनाया गया है। इस फॉर्मूले के तहत छात्रों को 12वीं क्लास तक की पढ़ाई पर जोर दिया गया है।
पांच साल का होगा फाउंडेशन कोर्स
स्कूल एजुकेशन के लिए 5+3+3+4 का फार्मूला स्कूल एजुकेशन के लिए डिजाइन किया जायेगा। इसके तहत पांच साल का फाउंडेशन कोर्स होगा, जिसमें कक्षा 1 और 2 की पढ़ाई को भी शामिल किया जाएगा। इसे प्री प्राइमरी स्कूल नाम दिया गया है। इसके बाद प्रिपेरटरी स्टेज के तहत कक्षा 3, 4 और 5 की पढ़ाई होगी। इसके बाद तीन कक्षाएं 6, 7 और 8 मिडिल स्टेज में रखी गई है। आखिर में चौथा स्टेज कक्षा 9, 10, 11 और 12 का होगा।
मातृभाषा पर जोर
ऐसी चर्चा है कि नई शिक्षा नीति में बच्चों को प्री-प्राइमरी से लेकर कम से कम पांचवीं तक मातृभाषा में ही पढऩा अनिवार्य किया जा सकता है। नई एजुकेशन पॉलिसी में प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाने पर जोर दिया गया है।
इसी के साथ तीसरी क्लास तक मातृभाषा में ही लिखने और उसके बाद दो और भारतीय भाषाएं सीखने के बारे में कहा गया है। अगर कोई विदेशी भाषा पढऩा और लिखना चाहता है तो उसे तीन भारतीय भाषाओं के बाद चौथी भाषा के तौर पर सीखा जा सकता है।
प्राइवेट स्कूलों को फीस तय करने की आजादी
प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाये जाने वाली फीस पर भी नई एजुकेशन पॉलिसी के ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है। सुझाव दिया गया है कि निजी स्कूलों को फीस तय करने की आजादी दी जाए, लेकिन मनमाने तरीके से नहीं। इसके अलावा नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किए जाने पर जोर दिया गया है।