जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. अमेरिका और ब्रिटेन के बाद रूस में बनाई गई कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी भी इस वायरस से लड़ने में 95 फीसदी मददगार साबित हुई है. रूस ने अपने देश में बनी कोरोना वैक्सीन को सिर्फ सात सौ रुपये में उपलब्ध कराने की बात कही है. हालांकि यह रूस के लोगों को मुफ्त में उपलब्ध होगी.
जांच में यह साबित हुआ है कि रूस में बनी वैक्सीन दूसरी जगहों पर बनी वैक्सीन से ज्यादा असरदार है. इस वैक्सीन को बनाने वाली गैमेलिया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलाजी एंड माइक्रोबायोलोजी ने दावा किया है कि अपने थर्ड ट्रायल में भी यह वैक्सीन कारगर साबित हुई है. इसे 39 कोरोना संक्रमितों के अलावा 18 हज़ार 794 लोगों पर इसका ट्रायल किया गया है. इस वैक्सीन को देने के 28 दिन बाद यह 91 फीसदी असरकारी दिखी लेकिन 42 दिन बाद यह 95 फीसदी असरकारी मिली.
ट्रायल के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान किया कि यह वैक्सीन देश में सभी लोगों को मुफ्त मुहैया होगी लेकिन देश के बाहर इसकी कीमत करीब सात सौ रुपये होगी. इस वैक्सीन के दो डोज़ लेने होंगे. रूस के वैज्ञानिकों के मुताबिक़ साल 2021 में यह वैक्सीन 50 करोड़ लोगों तक पहुँच जायेगी.
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रूस में बनी यह वैक्सीन दो से आठ डिग्री तापमान पर सुरक्षित रहेगी. भारत समेत तमाम गर्म तापमान वाले देशों में इसे पहुंचाना आसान होगा. जनवरी 2021 से इसकी डिलीवरी शुरू हो जायेगी. जिन देशों में यह वैक्सीन माँगी गई है वहां मार्च से पहुँचने लगेगी.
अमेरिका की वैक्सीन फाइजर 90 फीसदी कारगर है और इसकी एक डोज़ की कीमत 1450 रुपये है. माडर्न वैक्सीन की एक डोज़ की कीमत 1850 रुपये है. जबकि ब्रिटेन की वैक्सीन कोवाशील्ड 70 फीसदी कारगर है और इसकी एक डोज़ की कीमत 500 रुपये है.