दुनिया के 80 से ज्यादा करोड़पतियों का प्रस्ताव, अमीरों पर लगे कोरोना वायरस टैक्स
जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना काल में दुनिया के 80 से ज्यादा करोड़पति कोरोना वायरस महामारी के झटके से उबरने की कोशिशों में मदद के लिए आगे आए हैं। इन लोगों ने दुनिया भर की सरकारों से अपील की है कि उनसे ऊंची दर पर टैक्स वूसल करें। उनका कहना है कि उनके पैसे का महामारी से निपटने की कोशिशों में इस्तेमाल होना चाहिए।
इन करोड़पतियों ने एक खुले पत्र में दुनिया भर की सरकारों को यह प्रस्ताव दिया है। खुद को “मिलियनेयर्स फॉर ह्यूमैनिटी” कहने वाले इस समूह ने एक खुले पत्र में दुनिया की सरकारों से कहा है कि सरकारों को उनसे “तुरंत, पहले से काफी अधिक और स्थायी रूप से” मौजूद दर से ऊंची दर पर कर वसूलना चाहिए।
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पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में बेन एंड जेरी आइसक्रीम बनाने वाली कंपनी के सह-संस्थापक जेरी ग्रीनफील्ड, फिल्मों के पटकथा लेखक रिचर्ड कर्टिस और फिल्म निर्माता अबीगैल डिज्नी शामिल हैं। अमेरिकी उद्यमी सिडनी तोपोल और न्यूजीलैंड के व्यवसायी स्टीफन टिंडाल ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
पत्र में लिखा है, “कोविड-19 के दुनिया पर असर की वजह से हमारी दुनिया को फिर बेहतर बनाने के लिए हम जैसे करोड़पतियों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। हम इंटेंसिव केयर वार्डों में भर्ती बीमार लोगों का ख्याल नहीं रख रहे हैं। हम बीमारों को अस्पतालों तक पहुंचाने वाली एम्बुलेंस नहीं चला रहे हैं। हम ग्रोसरी की दुकानों में फिर से सामान नहीं भर रहे हैं और ना ही हम घर-घर जा कर खाना पहुंचा रहे हैं, लेकिन हमारे पास पैसा जरूर है, और बहुत सारा है। वह पैसा जिसकी अभी बहुत जरूरत है और जिसकी आने वाले वर्षों में भी बहुत जरूरत रहेगी, तब जब दुनिया इस संकट से उबरने की कोशिश कर रही होगी”।
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“मिलियनेयर्स फॉर ह्यूमैनिटी” समूह का पत्र कई समूहों के बीच सहयोग का नतीजा था। इनमें ऑक्सफैम, टैक्स जस्टिस यूके और ऊंची नेट-वर्थ वाले अमेरिकी समूह पेट्रियोटिक मिलियनेयर्स शामिल हैं।
करोड़पतियों का यह पत्र जी20 देशों के वित्त-मंत्रियों की होने वाली बैठक से पहले छपा है। जैसे-जैसे देश वैश्विक महामारी के आर्थिक असर से निपटने की तैयारी कर रहे हैं, कुछ देशों ने अभी से कर की दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव दे दिया है।
ब्रिटेन में इंस्टीट्यूट ऑफ फिस्कल स्टडीज ने कहा है कि कर की दरों का बढऩा सिर्फ अमीरों के लिए ही नहीं, बल्कि सब के लिए निश्चित है।
वहीं इस माह में स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने संकेत दिए थे कि उनकी सरकार करों की दरों को बढ़ा सकती है। रूस में भी ऊंची कमाई वालों को निशाना बनाने की संभावना है। सऊदी अरब ने महामारी के असर और तेल के दामों में गिरावट को देखते हुए सेल्स टैक्स की दर बढ़ा दी है।
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