जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले साल भारत में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी के पीछे तब्लीगी जमात के मरकज को जिम्मेदार ठहराया गया था। जमात से जुड़े लोगों के कोरोना संक्रमित मिलने की वजह से समुदाय विशेष को महामारी को फैलाने का आरोपी ठहराया गया था।
इसके बाद देश की शीर्ष अदालत से लेकर उच्च न्यायालय ने तब्लीगी जमात को बदनाम करने के लिए सरकार और मीडिया को फटकार लगाई थी।
अब एक नया मामले सामने आया है। एमबीबीएस की एक रिफ्रेंस बुक में तब्लीगी जमात के लोगों को भारत में कोविड-19 फैलने का कारण बताया गया है। हालांकि, इस किताब पर विवाद पैदा होने के बाद प्रकाशकों ने यह किताब वापस ले ली है।
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एमबीबीएस सेकंड ईयर छात्रों के लिए रिफ्रेंस बुक ‘एसेंशियल्स ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी’ में तब्लीगी जमात के नकारात्मक चित्रण के लिए इसके लेखक- डॉक्टर अपूर्वा शास्त्री और डॉक्टर संध्या भट ने माफी भी मांगी है।
दोनों लेखकों ने कहा है कि अगर किताब के इस अंश से किसी को चोट पहुंची है, तो हमें इस पर खेद है। वहीं डॉक्टर शास्त्री ने कहा कि जैसे ही यह उनके ध्यान में लाया गया, उन्होंने इस पर माफी मांगी और प्रकाशकों ने यह किताब वापस ले ली।
डॉक्टर शास्त्री ने कहा कि बदलाव अब किताब के अगले एडिशन में होंगे।
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तब्लीगी जमात पर किताब में क्या लिखा है?
एमबीबीएस के इस किताब में देश कोविड-19 की स्थिति को बताते हुए कहा गया है कि दिल्ली स्थित निजामुद्दीन में लगे तब्लीगी जमात के मरकज के बाद मार्च 2020 से ही भारत में कोरोनावायरस महामारी का विस्फोटक फैलाव शुरू हुआ। इससे प्रतिदिन चार हजार से ज्यादा केस मिले।
वहीं किताब में दिए गए इस कथन पर छात्र संगठन- ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन’ ने कहा, “कोरोना महामारी को लेकर अब तक ऐसी कोई स्टडी नहीं हुई, जिसमें इस दावे की पुष्टि हो कि कोविड-19 का फैलाव तब्लीगी जमात की मरकज की वजह से हुआ।
संगठन ने कहा कि यह मीडिया की ओर से एक समुदाय का तिरस्कार करने जैसा था। किताब के लेखकों ने भी बिना तथ्यों को जांचे ही इस कथन को शामिल कर लिया। हम खुश हैं कि उन्होंने अपनी गलती मानी और किताब वापस ले ली।
मालूम हो कि कोरोना काल में तब्लीगी जमात को बदनाम किए जाने से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है। अदालत ने उन टीवी कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए कुछ नहीं करने पर फटकार लगाई, जिनके असर भड़काने वाले होते हैं।
अदालत ने कहा कि ऐसी खबरों पर नियंत्रण उसी प्रकार से जरूरी हैं। कोर्ट ने साफ किया था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐहतियाती उपाय किए जाने चाहिए।