जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के पास एक दर्जन से अधिक घरों को ‘मंदिर की सुरक्षा का हवाला देकर इसे खाली कराया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है कि ताकि यहां पर दृष्टिगत पुलिस बल की तैनाती की जाये लेकिन अब मामला विवादों में नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों को कहना है कि वो यहां से जाना नहीं चाहते हैं।
इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट की माने तो यहां के लोगों को बगैर किसी ठोस जानकारी दिए बगैर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराए गया है। हालांकि प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है।
मीडिया रिपोट्र्स की माने तो जिला प्रशासन ने साफ कहा है कि सुरक्षा योजना शुरुआती चरण में है और किसी से जोर-जबरदस्ती नहीं की है। इसके साथ ही प्रशासन का कहना है कि सभी परिवारों ने बिना दबाव के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया है।
उधर इस पूरे मामले पर अब सूबे की राजनीति में घमासान देखने को मिल रहा है। दरअसल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने वहां पर पहुंच गए है और गोरखपुर इलाके में जाकर उन परिवारों से मुलाकात की जिन्हें गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती के नाम पर हटाये जाने की कार्यवाही शुरू की गई है।
विश्वविजय सिंह से प्रभावित परिवारों ने बताया कि वे 100 वर्ष से अधिक समय से यहां पर रह रहे हैं। इन घरों में वे दुकान कर अपनी आजीविका भी चलाते है।
एक सप्ताह पहले अचानक पुलिस और राजस्वकर्मी यहां आए और उनके घरों की पैमाइश की। एक दिन बाद उनसे एक सादे कागज को सहमति पत्र बताकर हस्ताक्षर करा लिया गया। अब वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
उन्हें यहां से हटाया गया तो वे बेघर हो जाएंगे। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने प्रभावित परिवारों को आश्वास्त किया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की कार्रवाई जोर जबरदस्ती वाली और अवैधानिक है।
प्रभावित परिवारों को पूरी जानकारी दिए बिना सादे कागज दस्तखत कराना उसकी गलत नीयत को दर्शाता है। प्रशासन को स्पष्ट करना चाहिए कि वहां किस उद्देश्य व कार्य के लिए जमीन और घर की जरूरत है।
उन्होंने चेतावनी दी कि विकास और सुरक्षा के नाम पर गरीब लोगों को बेघर और विस्थापित करने की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आश्चर्य जताया कि मुख्यमंत्री जो कि गोरखनाथ मंदिर के महंत भी है, इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं ?