जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और इससे पहले ही प्रदेश के डिप्टी सीएम केशप प्रसाद मोर्या फर्जी मार्कशीट के आरोप में फंस गए हैं।
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि मौर्या पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लडऩे का आरोप विपक्षी दल के किसी नेता ने नहीं बल्कि उनकी ही पार्टी के एक नेता ने लगाया है।
प्रयागराज निवासी और पार्टी पदाधिकारी दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को लेकर शिकायत की है, जिसके बाद एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने उनके दस्तावेजों की जांच करने के निर्देश दिए हैं।
इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होनी है। अदालत ने उससे पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।
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शिकायतकर्ता दिवाकर त्रिपाठी ने कहा कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने साल 2007 में इलाहाबाद पश्चिम से विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया, तो उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन से दो अंक पत्र और एक इंटरमीडिएट (प्लस II) प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, जिसे किसी भी शैक्षिक बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
त्रिपाठी ने उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सम्मेलव की डिग्री और सर्टिफिकेट मान्य नहीं हैं।
मालूम हो कि सम्मेलन हिंदी भाषा और साहित्य में मध्यवर्ती पाठ्यक्रम संचालित करता है। इसके पहले और दूसरे साल के पाठ्यक्रमों को प्रथम और द्वितीया कहा जाता है।
दिवाकर त्रिपाठी ने कहा कि केशव मौर्या ने हर चुनावों में अलग अलग शैक्षिक प्रमाण पत्र दिखाए है, जोकि किसी फर्जीवाड़े की ओर इशारा करते हैं।
दिवाकर का दावा है कि द्वितीय के लिए मौर्य की मार्कशीट में फर्जी इनरोलमेंट नंबर का इस्तेमाल किया गया है। उनके अनुसार सम्मेलन के रिकॉर्ड में उसी इनरोलमेंट नंबर पर किसी मंजू सिंह का नाम दर्ज है।
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वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे चुनावों से पहले विपक्ष की साजिश करार दिया है।
उन्होंने कहा कि आरोपी को बताना चाहिए कि किस कारण वह अपनी ही पार्टी के नेता के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने 2004 के एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि वह काफी समय से मेरे खिलाफ काम कर रहे हैं।