Saturday - 19 April 2025 - 4:17 AM

‘निराशाओं के पार’ काव्य संग्रह का लोकार्पण कार्यक्रम लखनऊ में हुआ सम्पन्न

साहित्यकार एवं लेखक नवल किशोर सोनी के काव्य संग्रह ‘निराशाओं के पार’ का लोकार्पण कार्यक्रम लखनऊ में हुआ सम्पन्न ।

साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी संस्था बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित कवि, लेखक, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् एडवोकेट नवल किशोर सोनी के प्रथम काव्य संग्रह ‘निराशाओं के पार’ का लोकार्पण बालिका शिक्षा के लिए कार्यरत संस्था एजुकेट गर्ल्स के संवाद और साहित्य कार्यक्रम के दौरान लखनऊ, उत्तर प्रदेश में किया गया ।

काव्य संग्रह ‘निराशाओं के पार’ के लेखक नवल किशोर सोनी ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता एजुकेट गर्ल्स की प्रोग्राम निदेशक डॉक्टर पल्लवी सिंह ने की तथा कार्यक्रम का संचालन युवा रंगकर्मी और उत्तर कामायनी के लेखक दलीप सिंह वैरागी के द्वारा किया गया। युवा कवि और लेखक नवल किशोर सोनी ने बताया कि साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी संस्था बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित ‘निराशाओं के पार’ काव्य संग्रह की प्रभावी और रोचक भूमिका एन.सी.ई.आर.टी के क्षेत्रीय संस्थान मैसूर में अध्यापन कार्य से जुड़ी स्वतंत्र लेखिका और मशहूर कवियत्रि डॉक्टर पूर्णिमा मौर्या ने लिखी है। लोकार्पण कार्यक्रम में सुश्री पुर्णिमा ने बताया कि “निराशाओं के पार” संग्रह में दुनिया को समझने की दिशा में कदम बढ़ाते युवा मन को पढ़ा जा सकता है।

सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक तमाम मुद्दों को अपनी कविता का विषय बनाते हुए नवल किशोर जी की कविताएँ स्त्री विमर्श और दलित विमर्श से भी संवेदनात्मक धरातल पर जुड़ती हैं।

आज का कवि समझ रहा है कि स्त्रियां अपनी जंज़ीरें काटने के लिए किसी हीरो का इंतजार अब और नहीं कर सकती उन्हें खुद ही अपनी जंज़ीरें काटनी होंगी अपने लिये खुद ही आवाज उठानी होगी और प्यार से ऊँच-नीच की दीवारों को गिराना होगा।

“लड़कियां” कविता में घरेलू कामकाज में अपने आपको पूरी तरह से झोंक देने वाली लड़कियों के मन को समझने का प्रयास करते हुए कवि ने पितृसत्तात्मक समाज की तीखी आलोचना भी की है जहां कहने को तो बेटियां पूजनीय हैं पर समझा उन्हें इंसान भी नहीं जाता। इस कविता को पढ़ते हुए खूब समझ आता है कि लड़कियां आज भी समाज को खटकती-खलती-चुभती हैं।

सौ से अधिक छोटी छोटी कविताओं को संजोए इस संग्रह में बच्चों और स्कूली शिक्षा पर लिखी कुछ कविताएं भी हैं। डरा सहमा, किताबों के बोझ तले दबा बचपन कवि मन को झकझोरता है और समाज से प्रश्न करता है कि हम अपने बच्चों को किस भविष्य की ओर ले जा रहे हैं?

अपने बच्चों को ज़्यादा नम्बर लाने की रेस में डालने वाली मानसिकता उनकी सृजनात्मकता और मासूमियत दोनों को खत्म कर रही है जिसके तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों ही परिणाम बेहतर खतरनाक होंगे। इस संग्रह में स्कूल जाने और स्कूल न जाने वाले दोनों तरह के बच्चों की बात की गई है।

बचपन जो एक तरफ किताबों के बोझ से दब कर नष्ट हो रहा है तो दूसरी तरफ जातिवाद, पितृसत्तात्मकता और गरीबी की भेंट चढ़ स्कूल जाने को तरस रहा है। स्कूल चलो अभियान, मुफ्त शिक्षा, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और ‘लर्निंग विदाउट बर्डेन’ जैसे दावों को ज़मीनी हकीकत बनाना आज भी पूरी तरह सम्भव नहीं हो पाया है।

यूनीफार्म, होमवर्क, शिक्षा में क्रांति, मुफ्त शिक्षा आदि ऐसी ही कविताएँ हैं जो बच्चों और स्कूली शिक्षा से जुड़े तमाम मुद्दों पर हमारा ध्यान खींचती हैं। इसके साथ ही इस संग्रह में नफरत की आग फैलाकर राजनीतिक रोटियां सेंकने, सत्ता में बने रहने के लिए जाति और धर्म के नाम पर मुख्य मुद्दों से जनता को भटकाने का खेल खेलने वालों को आईना दिखाने वाली तमाम कविताएँ मिल जाएंगी।

डॉक्टर पल्लवी सिंह एवं सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक प्रशिक्षक राघवेंद्र सेवदा ने “निराशाओं के पार” काव्य संग्रह के लिए नवल किशोर जी को शुभकामनाएं तथा संग्रह की अपर सफलता की कामना करता की।

उन्होंने बताया कि इन कवितओं को पढ़ते समय सत्ता की चालबाजियों को समझने- समझाने से लेकर बच्चों की मासूम दुनिया को बचाये रखने की चिंता देखी जा सकती है। इन कविताओं में पितृसत्तात्मक समाज में स्त्री और पुरूष की निर्मिति, संघर्ष और साझेदारी को अनुभव किया जा सकता है। ये कविताएँ आपने पाठकों से थोड़े धैर्य और पाठकीय विवेक की मांग करती हैं।

कार्यक्रम कि अध्यक्षता करते हुए एडुकेट गर्ल्स संस्था की कार्यक्रम निदेशक सुश्री पल्लवी सिंह ने बताया कि नवल किशोर जी का यह पहला प्रयास सराहनीय है।

इस संग्रह की सभी कविताएँ निःसंदेह बहुत अच्छी हैं। उम्मीद जगाती हैं। तमाम समस्याओं, दुःखों से लड़ते जूझते इंसान को संघर्ष की राह दिखाती है।

कवि को उम्मीद है ‘एक दिन सुख भरे दिन फिर लौटेंगे।’ आज भले ही अन्याय और गैरबराबरी का अंधकार गहन से गहनतर होता जा रहा है ।

इसी उम्मीद के साथ सभी कार्यक्रम में प्रयागराज से नितिन झा, मध्य प्रदेश से रंजीत नाथ और उदयपुर से ब्रजेश सिन्हा सहित सभी वक्ताओं ने साहित्यकार,लेखक, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता नवल किशोर जी को उनके कविता संग्रह ‘निराशाओं के पार’ के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी ।

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