जुबिली स्पेशल डेस्क
यूपी के संभल जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में हुए लाखों रुपए के गबन और गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों की जांच रिपोर्ट को लगभग एक साल से जांच टीम ने लटकाये रखा है और इसे ठंढे बस्ते में डाल दिया जिससे इसमें लिप्त बाबुओं और सम्बन्धित अधिकारियों को बचाया जा सके।
क्या है पूरा मामला
सूत्रों के अनुसार मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात विनय कुमार शर्मा पर आरोप लगा कि कोषागार में ई-पेमेंट के माध्यम से प्राप्त भुगतान को संबंधित फर्मों के खाते में न डालकर व्यक्तिगत खातों एवं अन्य खातों में ट्रांसफर कर लाखों रुपए का गबन कर डाला है।जिसमें तत्कालीन सीएमओ (डीडीओ), अपलोडर एवं अप्रुवर की भूमिका भी वित्तीय व्यवहार की प्रकृति को भी संदेहास्पद माना गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी संभल के अधीन सीएचसी मनौटा में तैनात विनय शर्मा मुख्यालय पर तत्कालीन सीएमओ (डीडीओ),से मिलीभगत करके जिले का भी काम देखता था। सीएचसी मनौटा पर तैनाती के दोरान शर्मा पर वर्ष 2014 से ही कर्मचारियों और अधिकारियों के लगभग 7,00000 (सात लाख रूपये) स्वयं के और दूसरे फर्जी खातों में ट्रांसफर करके निकालने और कई चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के जीपीएफ के पैसे भी हड़पने के आरोप लगे । बिना परमिशन लिये विदेश यात्रा (थाईलैंड) की गई। इसके प्रमाण उसके खातों से मिले ।
तत्कालीन सीएमओ डॉ अनीता सिंह द्वारा जब इस प्रकरण का खुलासा हुआ तो विनय शर्मा द्वारा कूट रचित ढंग से फर्जी चालान से लगभग 6,71,500 रुपए जमा के चालान कार्यालय में प्रस्तुत कर दिए गए।
इसने अपना फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट भी कार्यालय में सबमिट कर दिया । पुष्टि कराने पर मेडिकल सर्टिफिकेट ,फर्जी प्रमाणित हुआ। पिछड़ा दलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग संघ के अध्यक्ष डॉक्टर इन्द्र दयाल गौतम के अनुसार रिटायर्ड कर्मचारियों से लाखों रुपए रिश्वत लेकर भी शर्मा ने उनके फंड तक नहीं दिए।
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तत्कालीन सीएमओ डॉ अनीता सिंह ने एक विभागीय कमेटी से जांच कराकर इन आरोपों पर कारवाई के लिये स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारियों को अवगत कराया बाद में काफी दबाव के बाद लिपिक विनय कुमार शर्मा को एक इंक्रीमेंट डाउन करके बरेली सीएमओ के अधीन ट्रांसफर कर दिया गया।
विधान मंडल सदस्य दुर्गा प्रसाद यादव ने 14-02-2019 को विधानसभा के प्रथम सत्र में सीएमओ संभल के कार्यालय के प्रकरण को दबाए जाने का मामला उठाया था।
सूत्रों के अनुसार सी एम ओ और इस प्रकरण में लिप्त लिपिकों के विरूद्ध कारवाई करने तथा सीएमओ संभल में हुई अनियमितता की जांच के लिये निदेशक(स्वास्थ्य) की अगुवाई में एक जांच कमेटी बनाई गयी है। जिसमें 2015- 16 ,16 -17 एवं 17 -18 के वित्तीय व्यवहारों की जांच किये जाने के निर्देश थे।
सूत्रों के अनुसार जांच करने वाले अधिकारियों ने जांच के नाम पर सीएमओ संभल का भ्रमण तो कई बार किया लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक उच्च अधिकारियों(महानिदेशक/निदेशक प्रशासन) को नहीं सौंपी गई है जिससे जांच टीम की मंशा पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजवीर सिंह जो दो बार वहां कार्यवाहक सीएमओ रह चुके हैं और पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध रही है। इसके अलावा मामले का खुलासा करने वाली डा अनीता सिंह (तत्कालीन सीएमओ) पर भी आरोप है कि वह भी इस मामले से जुड़ी हैं। ये सभी तथ्य सभी सामने आते जब महानिदेशालय की जांच टीम अपनी रिपोर्ट सौंपे लेकिन जानकारी मिली है जांच के नाम पर केवल खानपूर्ति की गई है।
चर्चा यहां तक है कि लेनदेन करके मामले को निपटाने की बात है लेकिन निदेशक प्रशासन के सख्त रूख के कारण साल भर से ज्यादा समय बीतने पर भी अब तक जांच रिपोर्ट को दिया ही नहीं जा रहा है।