न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के महोबा शहर कोतवाली की बैरक में दारोगा रमाकांत सचान ने संदिग्ध हालात में फांसी लगा लीं। वहीं बेटे के मौत की खबर सुनते ही मां सरोजनी देवी बर्दाश्त नहीं कर और दम तोड़ दिया। परिजनों के मुताबिक दारोगा की एक दिन पहले शाम को पत्नी गीता से फोन पर बात हुई थी, जिसमें छुट्टी न मिलने की बात कही थी।
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रोज की तरह वह शुक्रवार सुबह उठे। मार्निंग वाक कर वापस लौटे तथा अपनी बैरक में चले गए। अन्य सिपाही भी ड्यूटी के लिए तैयार होकर निकल चुके थे। कुछ देर बाद एक सिपाही बैरक की तरफ गया तो गमछे से उनका शव छत के कुंड से लटकते देखा।
मृत दारोगा कानपुर सजेती थाना के कमलापुर निवासी थे। उनके पास मालखाने का चार्ज था। सेवानिवृत्ति के मात्र चार माह शेष रहने पर उन्होंने चार्ज देने की प्रक्रिया शुरू की थी। अपने पांच साल के कार्यकाल में वह तीन साल का चार्ज हस्तांतरित कर चुके थे और केवल दो साल का चार्ज देना शेष रह गया था।
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कोतवाली प्रभारी विपिन त्रिवेदी के अनुसार सेवानिवृत्ति के मात्र चार माह शेष रहते उन पर किसी तरह का कोई दबाव भी नहीं था। दो वर्ष छोड़कर शेष पूरा चार्ज हस्तांतरित कर चुके थे। किसी तरह का कोई सुसाइड नोट भी बरामद नहीं हुआ। इसलिए खुदकशी का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। परिवार वालों को सूचना दे दी गई है।