जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. जिस दौर में पूरे देश में लाउडस्पीकर को लेकर जंग छिड़ी है उस दौर में झांसी की जामा मस्जिद और राम जानकी मन्दिर ने अपनी खुशी से लाउडस्पीकर को अपने धर्मस्थलों से हटा दिया. झांसी की इस मिसाल ने धर्म को आधार बनाकर नफरत फैलाने वालों के गाल पर करारा तमाचा जड़ा है.
देश की अस्मिता के लिए ढाल बनकर खड़ी हुईं रानी लक्ष्मी बाई के शहर झांसी ने एक बार फिर पूरे हिन्दुस्तान को सही रास्ते पर आने का स्पष्ट सन्देश दे दिया है. यहाँ की जामा मस्जिद और राम जानकी मन्दिर पर अज से नहीं दशकों से लाउडस्पीकर लगा था. मस्जिद से रोजाना पांच वक्त मी नमाज़ हुआ करती थी और मन्दिर से रोजाना आरती की आवाज़ आती थी. इन दोनों धर्मस्थलों के बीच कभी टकराव नहीं हुआ. जब पूरे देश में टकराव के आसार बन चुके हैं तब झांसी ने देश को शानदार सन्देश दे दिया.
जामा मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ ताज आलम और राम जानकी मन्दिर के पुजारी शान्ति मोहन दास ने लाउडस्पीकर के मुद्दे पर आपस में बात की. दोनों के बीच इस बात की सहमति बनी कि वह अपने-अपने धर्मस्थल से लाउडस्पीकर हटा लें. दोनों धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर हटा लिए गए. मस्जिद के इमाम और मन्दिर के पुजारी ने कहा कि उन्होंने यह फैसला आपसी प्रेम और भाईचारे के लिए लिया है. आपसी प्रेम के बीच लाउडस्पीकर अगर रोड़ा बन रहा है तो फिर उसे बने रहने का कोई मतलब नहीं है.
झांसी के गांधी चौक में जामा मस्जिद और राम जानकी मन्दिर पास-पास हैं. दोनों धर्मस्थलों में अब छोटे-छोटे स्पीकर लगा लिए गए हैं. जिसकी आवाज़ परिसर से बाहर नहीं आती है.
यह भी पढ़ें : श्रीकृष्ण जन्मभूमि का लाउडस्पीकर बंद होने के बाद सभी बेचैन, आखिर माजरा क्या है
यह भी पढ़ें : मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अज़ान रोकने पर यूपी सरकार से जवाब तलब
यह भी पढ़ें : मंदिर और मस्जिदों के लाउडस्पीकर का किस काम में प्रयोग कर रही योगी सरकार
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : सियासत की चाशनी ने भर दिया इन धर्मगुरुओं में ज़हर