राजेन्द्र कुमार
लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरु हो गया था। और सरकार ने सूबे में बिना चेहरा ढ़के हुए घर के बाहर निकलने पर रोक लगा दी थी। मुख्य मंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव ने बगैर चेहरा ढ़के निकलने वालों से जुर्माना वसूलने के आदेश जारी कर दिए थे।
इस आदेश में जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों से कहा गया था कि बगैर मास्क, रुमाल या गमछे से चेहरा ढंके निकलने वालों से जुर्माना वसूलने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आनन-फानन में यह आदेश तो जारी हो गया लेकिन तभी यह पता चला कि राज्य में मास्क की कमी है। दवा की दुकानों पर जो मास्क मिल रहें है, वह मंहगे तो हैं और उन्हें बार-बार लगना ठीक नही है। इसलिए जनता को सस्ता और टिकाऊ मास्क मुहैया कराया जाये।
यह काम कौन करे? मुख्यमंत्री की बैठक में उनकी टीम 11 के अफसरों ने इस पर चर्चा की तो प्रमुख सचिव खादी ने मास्क बनाने के लिए खादी का कपड़ा मुहैया कराने और खादी की संस्थाओं से मास्क बनवाने का सुझाव दिया। और मुख्य सचिव ने राज्य ग्रामीण मिशन से जुडी महिलाओं के जरिये मास्क बनवाने की बात कही। उन्हें याद आया कि राज्य ग्रामीण मिशन के मिशन निदेशक ने एक बैठक में बताया था कि सर अगर इस मिशन से जुडी महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का काम सिखा दिया जाए तो गांव -गांव में गरीबी और भूखमरी को कम किया जा सकता है।
यह बात के याद आते ही उन्होंने मुख्य मंत्री से कहा कि राज्य ग्रामीण मिशन की महिलाओं से मास्क बनवाने के संबंध में वह 48 घंटे में एक कार्ययोजना आपके समक्ष रखेंगे। मुख्यमंत्री से यह वायदा करने के बाद मुख्य सचिव ने अपने दफ्तर में राज्य ग्रामीण मिशन के मिशन निदेशक को बुलाया। और उन्हें सस्ता -टिकाऊ मास्क बनाने की कार्ययोजना तैयार करने को कहा।
दस साल पहले आईएएस बने राज्य ग्रामीण मिशन के मिशन निदेशक के लिए यह टास्क पूरा करना आसान नही था। लेकिन बिहार के विश्व विख्यात नालंदा जिले से जुड़े मिशन निदेशक साहब ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बल पर सस्ता-टिकाऊ मास्क बनाने की ही नही बल्कि उसे बेचने की भी कार्ययोजना खादी के कपड़े से बनाये गए कुछ मास्क के साथ में मुख्य सचिव के सामने अगले ही दिन रख दी और मुख्य सचिव को बताया कि 13 रुपये 50 पैसे में राज्य ग्रामीण मिशन से जुडी महिलाएं एक मास्क बना देंगी। जिसे बनाने में उन्हें चार रुपये मिलेंगे, इस प्रकार से हर महिला प्रति दिन मास्क बनाकर दो सौ रुपये कमा लेगी।
राज्य ग्रामीण मिशन में बने मास्क बेचने को लेकर उन्होंने मुख्य सचिव को बताया कि राज्य के हर जिले में बने विकास केन्द्रों पर इन मास्क को बेचा जाएगा। इसके अलावा मास्क न पहने पर अब जिसका चालान कटेगा उसे दस रुपये में दो मास्क दिए जायंगे। इसके लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन सभी जिलों के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तानों को 1000-1000 मास्क देगा।
मुख्य सचिव को उनकी यह कार्ययोजना पसंद आयी और उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके बारे में बताया। तो मुख्यमंत्री ने मिशन निदेशक को अपने पास बुलाकर उनसे पूरी योजना को लेकर चर्चा की। करीब एक घंटे के विहार विमर्श के बाद मुख्य मंत्री ने मिशन निदेशक को उनकी योजना के अनुसार मास्क बनाने की छूट दे दी और यह ऐलान भी कर दिया कि दस रुपये के दो मास्क जनता को मिल सकें, इसके लिए राज्य ग्रामीण मिशन की महिलाओं के बनाये मास्क को सरकार सब्सीडी भी देगी।
इसी के बाद से राज्य ग्रामीण मिशन के मिशन निदेशक को व्यापारी बुद्धि वाला आईएएस कहा जा रहा है। क्योंकि उन्होंने एक मास्क को बनाने से लेकर उसको बेचने तक का की जो योजना तैयार की उसे मुख्य मंत्री से लेकर मुख्य सचिव तक ने बेजोड़ माना।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)