जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. बिहार की सियासत में न सत्ताधारी दल सुकून में है और न ही मुख्य विपक्षी पार्टी. दोनों में घर ही में सिर फुटव्वल की पोजीशन है. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राजद और जेडीयू ने एक दूसरे को दिन में तारे दिखा दिए थे लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि दोनों ही यह कहने की हालत में नहीं हैं की आल इज वेल.
राष्ट्रीय जनता दल में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने बिहार में विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे तेजस्वी को अपना नेता मानने से इनकार कर दिया है. बिहार की राजधानी पटना में राजद छात्र सभा की बैठक के बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं. इस होर्डिंग पर तेज प्रताप के साथ लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी तो हैं लेकिन तेजस्वी यादव गायब हैं. ठीक इसी तरह से जेडीयू में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस्तीफ़ा देकर केन्द्रीय मंत्री बने आरसीपी सिंह के स्वागत के लिए जेडीयू ने जो होर्डिंग लगाये उसमे जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा को ही गायब कर दिया गया.
दरअसल तेज प्रताप ने सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्र नेताओं की आज आठ अगस्त को बैठक बुलाई थी ताकि छात्रों के ज़रिये सरकार को घेरा जा सके लेकिन इस कार्यक्रम से बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को दूर रखा गया.
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तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच के काफी समय से मनमुटाव चल रहा है लेकिन तेज प्रताप ने होर्डिंग से तेजस्वी को गायब कर अपने मनमुटाव को बाज़ार में पहुंचा दिया. इस बारे में तेज प्रताप के करीबियों का कहना है कि पार्टी के एक बड़े कार्यक्रम में तेजस्वी ने भी तेजप्रताप को गायब कर दिया था. तेजस्वी को अर्जुन और खुद को कृष्ण बताने वाले तेजप्रताप ने अपने होर्डिंग से तेजस्वी को गायब कर यह सन्देश दे दिया है कि जैसा व्यवहार उनके साथ होगा वह भी वैसा ही जवाब देंगे.