न्यूज डेस्क
इस समय पूरी दुनिया की निगाह अमेरिका पर बनी हुई है। पहले महामारी की वजह से और अब नस्लीय हिंसा की वजह से। पिछले 5 दिन से अमेरिका जल रहा हैं। लोग सड़कों पर हैं। राष्ट्रपति ट्रंप हिंसा को रोकने के लिए सेना का सहारा लेने की बात कर रहे हैं।
अमेरिका में नस्लीय हिंसा पहली बार नहीं हुई है। दरसअसल जैसा हॉलीवुड फिल्मों में अमेरिका को दिखाया जाता है, वैसा वह बिल्कुल नहीं है। यहां भी कई समस्याएं हैं जिनमें काले-गोरे का भेद बड़ी समस्या है। अमेरिका अपने ही भीतर त्वचा के रंग को लेकर संघर्ष करने वाला देश भी है।
अमेरिका में रंगभेद का इतिहास बहुत पुराना है। साल 1619 में पहली बार अमेरिका में अफ्रीकी मूल के लोगों को गुलाम बनाकर लाया गया था और 1868 में पहली बार इन अश्वेतों को अमेरिका में नागरिकों का दर्जा मिला था। बावजूद 400 वर्षों के बाद भी अमेरिका में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। हां, गुलामी की प्रथा समाप्त जरूर हो गई है, लेकिन रंगभेद आज भी अमेरिकी समाज का हिस्सा है।
अमेरिका के इतिहास में आंदोलनों का बड़ा चेहरे रहे मार्टिन लूथर किंग जूनियर, महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते और कहते थे कि आंदोलनों में हिंसा की कोई जगह नहीं है, लेकिन एक बार अपने एक मशहूर भाषण में उन्होंने यह भी कहा था कि दंगे वह लोग करते हैं जिनकी आवाज कहीं नहीं सुनी जाती। अमेरिका में जो हालात है उससे ऐसा ही लग रहा है कि एक बार फिर अमेरिका 50 और 60 के दशक में पहुंच गया है।
अमेरिका में हो रहे बड़े पैमाने पर दंगे और प्रदर्शन यही बताते हैं कि यहां आज भी अश्वेतों को वह न्याय और वह जगह नहीं मिली है जिसकी वो मांग करते आए हैं। इसी वजह से अमेरिका में 50 और 60 के दशक में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। ऐसा नहीं है कि अमेरिका में अश्वेत नागरिकों को तरक्की के अवसर नहीं मिले, लेकिन अमेरिका में रंगभेद की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि वहां के ज्यादातर अश्वेत नागरिक आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
हिंदी पोर्टल डीडब्ल्यू ने भी 60 सालों में अमेरिका में हुए दंगों पर स्टोरी प्रकाशित की है। उसके मुताबिक अमेरिका कई बार नस्लीय हिंसा की वजह से सुृलग उठा था। आइये जानते हैं कि इन 60 सालों में कब-कब अमेरिका में अश्वेतों को अपने हक के लिए सड़क पर उतरना पड़ा।
अगस्त 1965
लॉस एजेंलिस शहर में पुलिस ने आईडेंटिटी चेक के लिए दो अश्वेत पुरुषों को रोका और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया। पुलिस पर आरोप लगा कि उसने ऐसा नस्लीय घृणा के चलते किया। इसके बाद 11-17 अगस्त तक शहर के एक हिस्से में भयानक दंगे हुए। 34 लोगों की मौत हुई।
जुलाई 1967
दो श्वेत पुलिस अधिकारियों ने एक मामूली ट्रैफिक नियम उल्लंघन के लिए एक अश्वेत टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया और पीटा। इसके बाद नेवार्क में 12-17 जुलाई तक दंगे हुए। 26 लोगों की मौत हुई और 1,500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। इसके हफ्ते भर बाद डेट्रॉएट और मिशीगन में भी दंगे हुए, वहां 43 लोग मारे गए और 2,000 से ज्यादा घायल हुए।
अप्रैल 1968
मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद टेनेसी में हिंसा भड़ गई। 4-11 अप्रैल तक चले इन दंगों में 46 लोग मारे गए और 2,600 से ज्यादा घायल हुए। हिंसा इस कदर भड़की कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन को दंगा रोकने के लिए सेना भेजनी पड़ी।
मई 1980
दिसंबर 1979 में चार श्वेत पुलिस अधिकारियों पर एक अश्वेत मोटरसाइकिल सवार को पीट पीटकर मार डालने का आरोप लगा। सुनवाई के बाद मई में पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया गया। इससे नाराज अश्वेत समुदाय ने मियामी लिबर्टी सिटी में भारी हिंसा की। चार दिन के दंगों में 18 लोग मारे गए।
अप्रैल 1992
लॉस एंजेलिस के दंगों में 59 लोग मारे गए। अश्वेत कार चालक की पिटाई के वीडियो बनाने वाले श्वेत पुलिस अधिकारियों की रिहाई की वजह से ये दंगे हुए। यह दंगे अटलांटा, कैलिफोर्निया, लॉस वेगस, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और सैन जोस में भी फैले।
अप्रैल 2001
19 साल के अश्वेत युवक टिमोथी थॉमस को एक पुलिस अधिकारी ने मार डाला। इसके बाद सिनसिनैटी शहर में दंगे भड़क उठे। चार रातों तक शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
अगस्त 2014
श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे अश्वेत किशोर की मौत के बाद फर्गुसन शहर में दंगे हुए। 9-19 अगस्त तक हुई हिंसा में काफी आर्थिक नुकसान हुआ। नवंबर में आरोपी पुलिस अधिकारी से हत्या की धाराए हटाने के बाद शहर में फिर तनाव लौट आया।
अप्रैल 2015
25 साल के अश्वेत युवा फ्रेडी ग्रे को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने इतनी ताकत लगाई कि युवक की पुलिस वैन में मौत हो गई। फ्रेडी की गिरफ्तारी का वीडियो भी सामने आया। वीडियो के प्रसारित होने के बाद बाल्टीमोर में भारी हिंसा हुई जिसके इमरजेंसी लगानी पड़ी।
सितंबर 2016
पुलिस फायरिंग में 43 साल के कीट लैमॉन्ट स्कॉट की मौत के बाद शारलोटे शहर में दंगे हुए। प्रशासन को हिंसा रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना बुलानी पड़ी।
मई 2020
मिनियापोलिस शहर में पुलिस अधिकारियों ने जॉर्ज फ्लॉएड नाम के एक अश्वेत शख्स को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के दौरान फ्लॉएड ने पुलिस को अपनी बीमारी के बारे में बताया। इसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने उन पर ताकत आजमाई। फ्लॉएड की मौके पर ही मौत हो गई। उनकी मौत के एक दिन बाद से ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं।