जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग की आंच भारतीय उद्योगों तक पहुँचने लगी है. अभी कल तक सिर्फ इस युद्ध का असर पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी गैस के दामों में लगने वाली आग बताई जा रही थी लेकिन जब युद्ध शुरू हो गया है तो उसके दुष्परिणाम भी नज़र आने लगे हैं. फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग पार ही 1200 करोड़ रुपये की मार का संकट नज़र आने लगा है.
दरअसल फिरोजाबाद की कांच इंडस्ट्री कांच बनाने के तमाम केमिकल यूरोप से मंगाती है. इन रसायनों के दामों में युद्ध की वजह से अचानक से बड़ा उछाल आ गया है. इसके अलावा युद्ध शुरू होते ही फिरोजाबाद को मिले 200 करोड़ के ऑर्डर होल्ड कर दिए गए हैं. युद्ध लम्बा चल गया तो निर्यात होने वाले सभी ऑर्डर कैंसिल हो सकते हैं. आर्डर कैंसिल हुए तो फिरोजाबाद के कांच उद्योग को 1200 करोड़ का नुक्सान होगा.
फिरोजाबाद का कांच उद्योग पूरी दुनिया में सराहा जाता है. इस शहर में कांच से बनने वाले प्रोडक्ट की अमेरिका, इंग्लैण्ड और फ़्रांस के अलावा यूरोप के 70 से ज्यादा देशों में डिमांड है. इन देशों से फिरोजाबाद को 1200 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले थे. इसी मार्च के अंत तक इसे डिलीवर हो जाना था. कोरोना महामारी के बाद फिरोजाबाद के कांच उद्योग को यह दूसरी बड़ी मार मिली है. युद्ध लम्बा खिंचा तो कांच उद्योग बुरी तरह से चरमरा जायेगा.
फिरोजाबाद का कांच उद्योग हर साल करीब 3500 करोड़ रुपये के कांच प्रोडक्ट का निर्यात करता है. फिरोजाबाद का कांच उद्योग करीब दो लाख लोगों को रोजी-रोटी देता है. कांच उद्योग चरमराएगा तो दो साल से पाई-पाई को तरस रहे लोगों के सामने जीवन-मरण का संकट खड़ा हो जायेगा.
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