जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. अयोध्या में निर्माणाधीन राम मन्दिर से एक तरफ आस्था की हवा चल रही है तो दूसरी तरफ ज़मीनों की खरीद फरोख्त के ज़रिये कुछ लोगों की लाटरी खुलने का सिलसिला भी बदस्तूर जारी है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तीन गुना से बारह गुना रेट पर ज़मीनें खरीदकर लोगों को उपकृत करने में लगा है.
ज़मीनों की खरीद फरोख्त में ट्रस्ट से जुड़े लोग बतौर गवाह दस्तखत कर रहे हैं. अयोध्या के मेयर किसी सौदे में बतौर गवाह नज़र आते हैं तो किसी में उनके करीबी रिश्तेदार की ज़मीन का सौदा होता है और रिश्तेदार की तिजोरी भर जाती है.
ज़मीनों की इस खरीददारी में क्योंकि राम भक्तों की गाढ़ी कमाई जो उन्होंने बतौर चंदा दी थी उसकी बंदरबांट हो रही है इसलिए विरोध के स्वर उठना भी लाजमी है मगर खरीद-फरोख्त करने वाले इससे बेफिक्र हैं. वह बड़े आराम से उपकृत हो रहे हैं और उपकृत कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में उठ रहे शोर से बेखबर ट्रस्ट की तरफ से ज़मीनों के सौदे जारी हैं.
अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण शुरू होते ही ज़मीनों का धंधा ठीक उसी अंदाज़ में शुरू हुआ है जिस तरह से हाइवे निर्माण शुरू होने पर खेतों की खरीद-फरोख्त होती है. अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास नौ गुना दाम पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ज़मीन खरीदकर चर्चा का केन्द्र बना ही हुआ है. इसी बीच ट्रस्ट के पैसों से महामंत्री चम्पत राय के नाम पर आठ करोड़ रुपये की ज़मीन की खरीद की बात सामने आयी थी. अब एक और सौदे का खुलासा हुआ है. इस सौदे में भे ट्रस्ट ने खरीद से 12 गुने दाम का भुगतान किया है.
अयोध्या में जिस जगह पर राम मन्दिर का निर्माण हो रहा है उससे सटे हुए इलाके कोट रामचन्द्र में महंत देवेन्द्र प्रसादाचार्य ने अपनी 0.89 हेक्टेयर ज़मीन 20 फरवरी 2021 को दीप नारायण उपाध्याय को 20 लाख रुपये में बेची थी. दीप नारायण से यह ज़मीन ट्रस्ट ने 11 मई 2021 को दो करोड़ 50 लाख रुपये में खरीद ली. मतलब दीप नारायण ने इस सौदे में सिर्फ 80 दिन में 20 लाख रुपये लगाकर ढाई करोड़ कमाए. यानि 80 दिन में दो करोड़ 30 लाख का शुद्ध मुनाफा.
ट्रस्ट ने दीप नारायण को उपकृत किया क्योंकि दीप नारायण उपाध्याय अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे हैं. ऋषिकेश उपाध्याय राम मन्दिर के लिए खरीदी जा रही ज़मीनों की खरीद-फरोख्त में बतौर गवाह शामिल रहते हैं. इन ज़मीनों की खरीद-फरोख्त के मामले में मेयर गोलमोल जवाब देकर निकल जाते हैं.
अयोध्या में राम मन्दिर के नाम पर चल रही ज़मीनों की खरीद-फरोख्त में सर्किल रेट का भी जमकर मखौल उड़ाया जा रहा है. ज़मीनों की खरीद करने वाला सर्किल रेट से काफी कम कीमत में ज़मीन खरीदता है और उसकी रजिस्ट्री बगैर किसी एतराज़ के हो जाती है. इसके बाद ट्रस्ट उस ज़मीन को पहले खरीददार से खरीदता है तो वह सर्किल रेट से कई गुना दाम अदा करता है और उसकी भी रजिस्ट्री बड़े आराम से हो जाती है. इस पूरे खेल में सरकार को जिस राजस्व का नुक्सान हो रहा है उस पर भी कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है. न्यूज़ लांड्री ने इस मुद्दे की बड़ी बारीकी से पड़ताल की है. मेयर ऋषिकेश उपाध्याय से भी सवाल किये लेकिन उन्होंने गोलमोल जवाब देकर टाल दिया.
दीप नारायण उपाध्याय के ज़मीन सौदे की ही बात करें तो दीप नारायण ने महंत से जो ज़मीन 20 लाख में खरीदी थी वह सर्किल रेट के हिसाब से 35 लाख 60 हज़ार रुपये कीमत की थी लेकिन इसी ज़मीन के ट्रस्ट ने ढाई करोड़ रुपये अदा कर दिए. इसी दीप नारायण ने एक और ज़मीन ट्रस्ट के हाथ एक करोड़ रुपये में बेची जबकि उसका सर्किल रेट 27 लाख आठ हज़ार रुपये ही है.
ज़मीनों की इस खरीद फरोख्त में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा की भूमिका भी काफी संदिग्ध है. वह ज़मीन के खरीददारों की रजिस्ट्री की गवाही भी करते हैं और ट्रस्ट जब उसे खरीदता है तो उसकी रजिस्ट्री में भी उन्हीं के दस्तखत बतौर गवाह होते हैं. ज़ाहिर है कि उन्हें यह बात बखूबी पता रहती है कि कौन सी ज़मीन कितने दम की है और उसे खरीदने से ट्रस्ट को कितना चूना लग रहा है.
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राम मन्दिर के नाम पर राम भक्त चार मार्च तक 2500 करोड़ रुपये बतौर चंदा दे चुके हैं. इसमें से 500 करोड़ रुपये की एफडी कराई गई है. कुछ पैसा नींव की खुदाई वगैरह में खर्च हुआ है. कई करोड़ रुपये ज़मीनों की खरीद में खर्च किया गया है. ज़मीनों की खरीद-फरोख्त में हो रही बन्दर बाँट पर शासन और प्रशासन चुप है क्योंकि पैसा उन्होंने नहीं दिया चंदे में आया और ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय को किसी इल्जाम की फ़िक्र ही नहीं है क्योंकि उन्हें वहां प्रधानमन्त्री ने बिठाया है. उन्होंने पहली बार लगे आरोप पर कहा भी था कि हम पर तो महात्मा गांधी की हत्या का भी इल्जाम है.