न्यूज डेस्क
बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के पास मूर्तिया लगवाने के लिए पैसा है, लेकिन जनस्वास्थ्य के लिए नहीं?
16 जनवरी को बांबे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने महिलाओं और बच्चों के वाडिया अस्पताल को वित्तीय मदद देने से हाथ पीछे खींच लिया है। मुंबई का वाडिया अस्पताल बंद होने के कगार पर पहुंच गया है।
अस्पताल प्रशासन का आरोप है कि बीएमसी और राज्य सरकार ने करोड़ों का अनुदान रोक रखा है, जिसकी वजह से अस्पताल में मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं अस्पताल के कर्मचारियों का वेतन भी रुक गया है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी।
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दायर जनहित याचिका में बाई जारबाई वाडिया हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रेन और नौरोजी वाडिया मेटरनिटी अस्पताल के लिए बीएमसी और राज्य सरकार से फंड रिलीज कराने की मांग की गई है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एससी धर्माधिकारी और आर आई चांग्ला की डिवीजन बेंच ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि मूर्तियां लगवाने के लिए सरकार के पास पैसे हैं, लेकिन जनस्वास्थ्य के लिए नहीं?
क्या है मामला
दरअसल वाडिया अस्पताल ने पिछले दिनों आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए मरीजों का इलाज करना बंद कर दिया था। मरीजों को अस्पताल ने डिस्चार्ज करना भी शुरू कर दिया था। अस्पताल का आरोप था कि बीएमसी ने बकाया 137 करोड़ रुपये नहीं दिए हैं, जिस कारण हम मरीजों का इलाज करने में असमर्थ हैं। इस पर काफी हो-हल्ला मचा था।
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