ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या. जब जी चाहा कानून से खेला और जब चाहा तोड़ दिया. नियमों को तोड़-मरोड़कर अपनों को लाभ पहुंचाने का खेल देखना हो तो रामनगरी अयोध्या के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की कार्यशैली देख लीजिए. बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है. निलम्बन फिर बहाली की आड़ में मनचाही पोस्टिंग की जा रही है. जीपीएफ और एरियर के भुगतान में भी कमीशन बांध दिया गया है. बेसिक शिक्षा अधिकारी के कारनामे विभाग में शिक्षकों की जुबान पर हैं. इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भी भेजा गया है.
उदाहरण देखिये, प्राथमिक विद्यालय पहाड़गंज शिक्षा क्षेत्र मसौधा की सहायक अध्यापक साधना मिश्रा की पदोन्नति जूनियर हाई स्कूल में सहायक अध्यापक के लिए होती है. विभाग आदेश निकालता है कि इन्हें पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरेसर शिक्षा क्षेत्र बीकापुर स्थानांतरित किया जाता है. अब खेल यहीं से शुरू हो जाता है. बीएसए महोदय अध्यापिका को न्यायालय जाने की सलाह देते हैं. न्यायालय ने विधिक रुप से कारवाई का आदेश कर याचिका डिस्पोज आफ कर दिया.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अधीनस्थ अधिकारियों से रिपोर्ट मंगाकर साधना मिश्रा को कंपोजिट विद्यालय गंजा शिक्षा क्षेत्र मसौधा के जूनियर हाई स्कूल में सहायक अध्यापक पद पर पदोन्नति दे दी. नियम है कि जिस अध्यापक का प्रमोशन होगा और उसने पदोन्नति नहीं लिया तो अगले तीन वर्ष तक उसे पदोन्नति नहीं मिल सकती.
पदोन्नति में संशोधन के लिए निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय ने कहा लेकिन बीएसए ने दरियादिली दिखाते हुए निकट के विद्यालय में पदोन्नति दे दी जबकि पदोन्नति छोड़ने के कारण पदोन्नति स्वतः निरस्त हो जाती है. कई वर्षो से हजारों शिक्षको ने प्रत्यावेदन दे रखा है लेकिन पदोन्नति पर न जाने के कारण उनकी पदोन्नति निरस्त हो गई. साथ ही तीन वर्ष तक प्रमोशन पर विचार न करने का विभागीय आदेश है. बीएसए ने स्वयं कोर्ट भेजा, फेवर में आदेश निकाला, नीतिगत मैटर होने के कारण शासन से अनुमति लेकर तब निर्णय करना था. इसके अलावा कोर्ट में विभागीय आदेश का काउंटर भी लगाना था.
पिछले बीस वर्षों से कई हजार प्रत्यावेदन बीएसए के यहां जमा है. साधना मिश्रा प्रकरण को नजीर मानें तब तो सबको पदोन्नति दे देनी चाहिए. इसी आधार पर कोर्ट की आड़ में दर्जनों शिक्षको को उनके मनचाहे विद्यालय में पदास्थापित कर दिया जाना चाहिए. जबकि ये शिक्षक काउंसलिंग में विद्यालय दूर मिलने के कारण नहीं गए. जिन्हें विभागीय आदेश के क्रम में पदोन्नति का लाभ नही मिलना चाहिए. साथ ही तीन वर्षों तक पदोन्नति का लाभ भी नहीं दिया जा सकता.
तीन साल के बाद नई वरिष्ठता के आधार पर काउंसलिंग के माध्यम से नई पदोन्नति प्रकिया में शामिल कर पदोन्नति की जाती है. कोर्ट में बीएसए की दलील हास्यास्पद है कि पदोन्नति छोड़ने वाले शिक्षकों को पुरानी पदोन्नति पर लाभ देने से विसंगति नहीं है,जबकि शासनादेश है कि पदोन्नति छोड़ने वाले शिक्षकों को नई पदोन्नति प्रक्रिया में तीन वर्ष तक अवसर नही दिया जाएगा. वर्तमान समय मे कोई नई पदोन्नति के लिए वरिष्ठता लिस्ट भी नही बनी है. फिर वरिष्ठता को दरकिनार करके पुरानी पदोन्नति में विद्यालय संशोधित कर नए विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराना शासनादेश का उल्लंघन एवम कोर्ट को गुमराह करने की बीएसए की मनमानी कार्यशैली चरम पर है.
मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में रुदौली में कार्यरत देवेंद्र कुमार गुप्ता प्रधानाध्यापक का उदहारण दिया गया है. इन्हें निलंबन का बहाना बनाकर शहर से सटे प्राथमिक विद्यालय रायपुर मसौधा में सवेतन बहाल कर स्थानान्तरित कर दिया गया है जो कि शासन की मंशा के विपरीत है. इस तरह के दर्जनों स्थानान्तरण जनपद में हुए हैं और जिस में भारी धन उगाही की गई है. खण्ड शिक्षा अधिकारी हैरिंगटनगंज के माध्यम से बीएसए द्वारा धन वसूली का खेल हो रहा है.
ऐसे स्थानांतरण सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के अनुमोदन की प्रत्याशा में किए गए हैं. जबकि शासन की रोक के बावजूद शिक्षकों के स्थानांतरण की अनुमति देने के प्रकरण में शिकायतों को लेकर सचिव संजय सिन्हा को निलंबित कर दिया गया था. सेवानिवृत्त के बाद भी उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. पूरे प्रदेश में स्थानांतरण पर रोक के बावजूद राम नगरी में बीएसए का स्थानांतरण खेल चरम पर है.
शिक्षकों के एरियर भुगतान में भी सुविधा शुल्क की वसूली खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से हो रही है इस संदर्भ में कई ऑडियो भी वायरल हुए हैं. इसके अलावा शिक्षकों के चयन वेतनमान की पत्रावली सुविधा शुल्क की चाह में कई महीने लंबित की जाती है और आदेश टुकड़ों में जारी किया जाता है.
आरोप है कि बीएसए विभाग में कई वर्षों से कार्यरत पटल सहायकों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है.
(ओमप्रकाश सिंह अयोध्या के वरिष्ठ पत्रकार है और स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं)