जुबिली न्यूज डेस्क
रूस और यूक्रेन के बीज छिड़ी जंग ने बेहद तबाही मचाया, लेकिन इस तबाही का बेहद असर उन छात्रों पर देखने को मिल रहा है। जो यूक्रेन से लौटकर भारत आए हुए है। भारत लौटे 20 हजार मेडिकल छात्रों का भविष्य अब खतरे में नजर आ रहा है। देश वापस आए इन छात्रों को NMC यानी नेशनल मेडिकल कमीशन से बड़ा झटका लगा है। छात्रों को किसी भी भारतीय चिकित्सा संस्थान या विश्वविद्यालय में ट्रांसफर करने या एडजस्ट करने की अनुमति नहीं दी है। विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 20 हजार छात्र यूक्रेन से लौटे हैं। ये छात्र या तो विदेश मेडिकल स्नातक स्क्रीनिंग टेस्ट विनियम, 2002 या ‘विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंस विनियम, 2021’ के तहत आते हैं।
भारत में पढ़ने की अनुमती नहीं
खबरों की मानें तो स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को एक लिखित उत्तर में कहा ‘भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के साथ-साथ किसी भी विदेशी चिकित्सा संस्थान से मेडिकल छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में समायोजित करने या ट्रांसफर करने के लिए ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं।’
पीएम से किया ये आग्रह
इस दौरान आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील गुप्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी से युद्ध के दौरान यूक्रेन से निकालकर देश लौटे मेडिकल छात्रों का भविष्य बचाने का आग्रह किया है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने बताया कि विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कीव में भारतीय एंबेसी ने छात्रों को दस्तावेज मुहैया कराने के लिए यूक्रेन में सभी संबंधित विश्वविद्यालयों के साथ संपर्क किया है।
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वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधित अधिकारियों और मंत्रालयों को संबंधित केंद्रीय अधिनियमों में आवश्यक संशोधन करने के लिए आवश्यक निर्देश देने का आग्रह किया था। ताकि युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारतीय संस्थान में अपनी शिक्षा पूरी करने की अनुमति मिल सके।
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