सुरेन्द्र दुबे
नागरिकता संसोधन बिल को लेकर बीजेपी सरकार का जो भी मंसूबा है वह कितना कामयाब हो पायेगा, यह तो आने वाला वक्त बतायेगा, लेकिन बीजेपी ने इस बिल के बहाने लंबे समय के लिए अपने लिए एक राजनैतिक एंजेडा तैयार कर लिया है, जो आने वाले चुनावों में काम आयेगा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद से भाजपा को एक ऐसे मुद्दे की तलाश थी जो लंबे अरसे तक उसके लिए राजनैतिक रोटियां सेंकती रहे। मंदिर निर्माण कोर्ट के निर्णय से होगा, इसलिए जनता में यह संदेश मुश्किल हो रहा है कि भाजपा ने मंदिर बनवाने की जंग जीत ली है। इसीलिए सरकार खामोश है और अभी तक उसने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने तक का भी काम शुरु नहीं किया है। लगता है नागरिकता संसोधन बिल उनके लिए अलादीन का चिराग साबित हो सकता है जो उनकी चुनावी डगर में राह दिखाने में समर्थ हो सकता है।
नागरिकता संसोधन बिल पर पक्ष-विपक्ष में घमसान जारी है। भाजपा को लगता है कि उसने हिंदू वोट बैंक मालामाल कर लिया है और विपक्ष को लगता है कि भाजपा ने फिर वोट बैंक की जंग में पीछे धकिया दिया है। सिर्फ पूर्वोत्तर के राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। पर उनके विरोध में वो धार नहीं है जो भाजपा को कहीं खरोच पहुंचा पाए।
कारण स्पष्ट है कि भाजपा के पास आरएसएस के रूप में एक मजबूत प्रचार तंत्र है जो भाजपा के हर राजनैतिक एंजेडे को मोहल्लों की चौपालों से लेकर खेत-खलिहान तक चर्चा में ले आता है। वर्तमान में पूरे देश में उसकी सरकार है इसलिए संघियों को अपनी बात घर-घर तक पहुंचाने में कोई दिक्कत नहीं होती है। बात पहुंच रही है कि देखिए हमने पूरे देश में हिंदू अस्मिता का झंडा बुलंद कर दिया है और कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल अभी भी मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर आमादा हैं।
नागरिकता संसोधन बिल की तकनीकी बहस की बारीकियों को आम आदमी नहीं समझता है। उसे ये भी नहीं मालूम कि वर्तमान बिल संविधान के मूलभूत प्रावधानों के विपरीत है। उसे सिर्फ इतना समझाया जा रहा है कि हिंदू बहुल इस देश में हिंदुओं का झंडा सिर्फ भाजपा ही बुलंद रख सकती है।
जनता को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह बिल मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय में लागू नहीं होगा। रोजी-रोटी के लिए संघर्ष से जूझ रही जनता के पास इतना समय भी नहीं है और विपक्ष इतना कमजोर और विभाजित है कि वह इन सब बातों की ओर जनता का ध्यान खींचने में असमर्थ है। भाजपा प्रचार में समर्थ है और सत्ता में समर्थ है। इसलिए असमर्थ विपक्ष सिर्फ टकटकी लगाए देख रहा है।
कल दिन भर लोकसभा में नागरिकता संसोधन बिल को लेकर गरमा गरम बहस हुई और रात में यह बिल 80 के मुकाबले 311 वोट से पारित हो गया। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जायेगा। जहां भाजपा का बहुमत नहीं है। बहुत से विश्लेषक इस बात को लेकर आशावान हैं कि राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण यह बिल कानून का रूप नहीं ले पायेगा।
पर मेरी दृष्टि में इससे भाजपा के हिंदुवादी एजेंडे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर यह बिल पास नहीं हुआ तो भी भाजपा इसे गली-गली घूमकर भुनायेगी और जनता को बतायेगी कि कुछ मुस्लिम परस्त लोग कैसे इस हिंदू बाहुल्य राष्ट्र में हिंदुओं का झंडा नहीं बुलंद होने दे रहे हैं। बल्कि मेरा मानना है कि अगर यह बिल राज्यसभा में पास नहीं हुआ तो भाजपा को ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि वह इसको लेकर पूरे देश में लगातार तब तक हंगामा करती रहेगी जब तक अगली बार इस पर फिर लोकसभा में चर्चा कराने में सफल नहीं हो जायेगी। काम पूरा हो जाए तो बात खत्म हो जाती है। पर अगर काम अधूरा रहे तो बात चलती रहती है। आग जलती रहेगी तभी आगे भी रोटिया सिकेंगी, चूल्हा अगर बुझ जाए तो फिर रोटियां नहीं सिक सकतीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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