जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोलकाता के नील रत्न अस्पताल में एक महिला चार दिनों तक लिफ्ट में फंसी रही और किसी को कानो-कान खबर नहीं हुई. ऐसा भी नहीं कि लिफ्ट में फंस जाने के बाद वह चुपचाप लिफ्ट के खुलने का इंतज़ार करती रही हो. उसने लिफ्ट का खूब दरवाज़ा पीटा. अन्दर से खूब चिल्लाई लेकिन उसकी आवाज़ लिफ्ट के बाहर किसी को सुनाई नहीं दी.
साठ वर्षीय महिला आनोयारा अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने आई थी. डॉक्टर चौथी मंजिल पर बैठते हैं और घुटनों में दर्द की वजह से वहां तक पहुँचने का एकमात्र सहारा लिफ्ट ही थी. वह लिफ्ट में सवार हो गई लेकिन दूसरी मंजिल पर पहुँचने के बाद लिफ्ट रुक गई. वह शुक्रवार का दिन था. लिफ्ट फंस जाने के बाद वह खूब चिल्लाई. लिफ्ट का दरवाज़ा पीटा मगर मदद उसके पास नहीं पहुंची.
घर से निकलते वक्त वह अपने साथ रास्ते के लिए एक बोतल पानी और एक चूड़े के पैकेट लेकर आई थी. जब दरवाज़ा खुलने की संभावना खत्म हो गई तो उसने थोड़ा चूड़ा खाया और एक घूँट पानी पिया. इसके बाद वह लिफ्ट के फर्श पर बैठ गई. रात हुई फिर सुबह हो गई मगर कोई नहीं आया.
लिफ्ट खुलने के इंतज़ार में वह भूखी-प्यासी बैठी रही. जब सांस रुकने लगती तो वह थोड़ा सा चूड़ा खाकर एक घूँट पानी पी लेती. ऐसे ही चार दिन गुज़र गए. घर वाले महिला को तलाश करने अस्पताल भी आये लेकिन कुछ पता नहीं चला. चार दिन बाद किसी ने लिफ्ट के भीतर कोई हरकत महसूस की तो लिफ्ट के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई. लिफ्ट मैन ने आकर दरवाज़ा खोला तो अन्दर बेहद डरी हुई महिला मिली. इस महिला का कहना है कि मैं तो जीने की उम्मीद छोड़ चुकी थी. मुझे लगा था कि जैसे ही बोतल का पानी खत्म होगा वह भी खत्म हो जायेगी मगर ऊपर वाले ने उसे बचा लिया.
यह भी पढ़ें : केजरीवाल ने कहा योगी सरकार ने लोगों को कब्रिस्तान भेजने का काम किया
यह भी पढ़ें : महिलाओं के विवाह की उम्र तय करने वाली 31 सदस्यीय समिति में सिर्फ एक महिला
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : अब गाय के खिलाफ सियासत की इबारत लिखने वाली है सरकार
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : मरते हुए कोरोना ने ओमिक्रान को यह क्यों समझाया कि …