जुबिली न्यूज डेस्क
फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के कब्ज़े से रिहा हुए दो बंधकों में से एक 85 वर्षीय योचेवेद लिफ़शिट्ज़ ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पिछले दो सप्ताह का अनुभव साझा किया है. उन्होंने कहा है कि हमास के लड़ाके उन्हें किबुत्ज़ से मोटरबाइक पर अगवा करके ले गए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें एक दरवाज़े से ग़ज़ा ले जाया गया और इस दौरान उन्हें कई जगह चोटें आईं. उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी.
उन्होंने बताया कि कैसे हमास के लड़ाकों ने उन्हें लाठी-डंडों से पीटा. लिफ़शिट्ज़ ने कहा कि इसराइली सरकार ने अरबों रुपये सीमा पर बाड़बंदी करने में ख़र्च कर दिए लेकिन ये हमास को इसराइल से घुसने से नहीं रोक पाया. प्रेस कॉन्फ़्रेंस में लिफ़शिट्ज़ की बेटी शैरोन ने कहा कि उनकी मां को कई किलोमीटर तक गीले मैदान में पैदल चलने पर मजबूर किया गया. शैरोन ने कहा कि हमास ने अंडरग्राउंड सुरंगों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है. शैरोन ने इन सुरंगों की तुलना मकड़ी के जाल से की.
‘क़ुरान में विश्वास’ रखते हैं तो नुकसान नहीं पहुंचाएंगे
लिफ़शिट्ज़ की बेटी ने बताया कि हमास के लड़ाकों ने उनकी मां के गहने और घड़ी तक उतरवा ली. जब वह मोटरबाइक से उतरीं तो वहां मौजूद लोगों ने उनसे कहा कि वे ‘क़ुरान में विश्वास’ रखते हैं और इसलिए उनको नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.
लिफ़शिट्ज़ और 24 अन्य बंधकों को सुरंगों में ले जाया गया.
उन्होंने कहा कि बंधकों को साफ़-सुथरी जगहों पर रखा गया था और सोने के लिए गद्दे दिए गए. हर दो से तीन दिन के अंदर एक डॉक्टर उनकी निगरानी के लिए आता था. ग़ज़ा ले जाते समय घायल हुए एक बंधक का इलाज किया गया.
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उन्होंने बताया कि हर पांच बंधकों की निगरानी के लिए एक गार्ड मौजूद था. लिफ़शिट्ज़ ने बताया कि सुरंगों में रहने के दौरान उन्हें और उनके ग्रुप को खाने के रूप में सफ़ेद चीज़ (व्हाइट चीज़) और खीरे दिए गए. यही ख़ाना हमास के लड़ाके भी खा रहे